Women's Equality Day 2023: आज अंतरराष्ट्रीय महिला समानता दिवस मनाया जा रहा है। महिलाएं समाज का वह हिस्सा रही हैं जिसके बिना समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है लेकिन उसे हमेशा ढंककर रखा जाता है। महिलाओं की मौजूदगी का सबसे खास उदाहरण अभी हाल ही में हुए चंद्रयान-3 के जरिए देखा जा सकता है, जो कि इसरो के चांद मिशन में बराबरी से कंधे से कंधा मिलाकर कामयाबी हासिल कर चुकी है और उन्होंने सफलता का डंका बजाया है
हमेशा से ही पुरुष प्रधान देश में महिलाओं के प्रति असमानता को लेकर बढ़ते भेदभाव के चलते इस दिवस को मनाने की शुरुआत करना पड़ी। इस दिन को मनाने का उद्देश्य महिलाओं को समानता का दर्जा प्राप्त हो, उन्हें भी हर क्षेत्र में बराबर का अधिकार प्राप्त हो।
आइए जानते हैं महिला समानता के बारे में खास जानकारी-
अंतरराष्ट्रीय महिला समानता दिवस मनाने का उद्देश्य :
अंतरराष्ट्रीय महिला समानता दिवस को मनाने का खास उद्देश्य महिला सशक्तिकरण को बढ़ाना और उन्हें बढ़ावा देना। वहीं दूसरी ओर बढ़ रहे अत्याचार भेदभाव, कुकर्म, बलात्कार, एसिड अटैक, जैसे कई मुद्दे पर लोगों को जागरूक करना है। वहीं अगर देखा जाएं तो महिलाएं आज इन सभी चीजों से लड़कर लगातार आगे बढ़ रही है।
कब हुई इसकी शुरुआत :
26 अगस्त 1920 को अमेरिका में 19वें संविधान में संशोधन के बाद पहली बार महिलाओं को मत करने का अधिकार मिला था। 26 अगस्त 1971 में वकील बेल्ला अब्जुग के प्रयास से महिलाओं को समानता का दर्जा दिलाने की शुरुआत इस दिन से हुई थी। इससे पहले अमेरिकी महिलाओं को द्वितीय श्रेणी नागरिकों का दर्जा प्राप्त था। गौरतलब है कि महिलाओं के समानता के अधिकार की लड़ाई 1853 से एक बार फिर छिड़ी। इसके बाद अधिकारों की लड़ाई 1920 तक चली। वहीं भारतीय महिलाओं को मतदान का अधिकार ब्रिटिश शासन काल के दौरान मिला।
महिलाओं को जानना जरूरी है उनके अधिकारों के बारे में-
भारतीय कानून में महिलाओं को 11 अलग-अलग अधिकार मिले हैं। आइए जानते हैं विस्तार से:
1- वर्चुअल शिकायत दर्ज करने का अधिकार
कोई भी महिला वर्चुअल तरीके से अपनी शिकायत दर्ज कर सकती है। इसमें वह ई-मेल का सहारा ले सकती है। महिला चाहे तो रजिस्टर्ड पोस्टल एड्रेस के साथ पुलिस थाने में चिट्ठी के जरिए अपनी शिकायत भेज सकती है।
2- गरिमा और शालीनता का अधिकार
हर महिला को गरिमा और शालीनता से जीने का अधिकार मिला है। मेडिकल परीक्षण के दौरान महिला की मौजूदगी होना चाहिए।
3- दफ्तर या कार्यस्थल पर उत्पीड़न से सुरक्षा
अगर किसी महिला के खिलाफ दफ्तर में या कार्यस्थल पर शारीरिक उत्पीड़न या यौन उत्पीड़न होता है, तो उसे शिकायत दर्ज करने का अधिकार है।
4- घरेलू हिंसा के खिलाफ अधिकार
भारतीय संविधान की धारा 498 के अंतर्गत पत्नी, महिला लिव- इन पार्टनर या किसी घर में रहने वाली महिला को घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने का अधिकार मिला है। पति, मेल लिव-इन पार्टनर या रिश्तेदार अपने परिवार के महिलाओं के खिलाफ जुबानी, आर्थिक, जज्बाती या यौन हिंसा नहीं कर सकते।
5- पहचान जाहिर नहीं करने का अधिकार
किसी महिला की निजता की सुरक्षा का अधिकार हमारे कानून में दर्ज है। अगर कोई महिला यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है, तो वह अकेले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के सामने बयान दर्ज करा सकती है।
6- मुफ्त कानूनी मदद का अधिकार
लीगल सर्विसेज अथॉरिटीज एक्ट के मुताबिक बलात्कार की शिकार महिला को मुफ्त कानूनी सलाह पाने का अधिकार है।
7- अशोभनीय भाषा का नहीं कर सकते इस्तेमाल
किसी महिला (उसके रूप या शरीर के किसी अंग) को किसी भी तरह से अशोभनीय, अपमानजनक या नैतिकता को भ्रष्ट करने वाले रूप में प्रदर्शित नहीं कर सकते। ऐसा करना दंडनीय अपराध है।
8- समान वेतन का अधिकार
मेहनताने की बात हो तो जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते। किसी कामकाजी महिला को पुरुष की बराबरी में सैलरी लेने का अधिकार है।
9- महिला को रात में नहीं कर सकते गिरफ्तार
किसी महिला आरोपी को सूर्यास्त के बाद या सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकते। किसी से अगर उसके घर में पूछताछ कर रहे हैं तो यह काम महिला कांस्टेबल या परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में होना चाहिए।
10- जीरो एफआईआर का अधिकार
किसी महिला के खिलाफ अगर अपराध होता है तो वह किसी भी थाने में या कहीं से भी एफआईआर दर्ज करा सकती है। इसके लिए जरूरी नहीं कि कंप्लेंट उसी थाने में दर्ज हो जहां घटना हुई है। जीरो एफआईआर को बाद में उस थाने में भेज दिया जाएगा जहां अपराध हुआ हो।
11- महिला का पीछा नहीं कर सकते
आईपीसी की धारा 354D के तहत वैसे किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी जो किसी महिला का पीछे करे, बार-बार मना करने के बावजूद संपर्क करने की कोशिश करे या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन जैसे इंटरनेट, ई-मेल के जरिए मॉनिटर करने की कोशिश करे।
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