'जब पूरी दुनिया खामोश हो तो एक आवाज़ भी ताकतवर बन जाती है।' मलाला यूसुफजई के ये शब्द उनके व्यक्तित्व को बखूभी दर्शाते हैं। मलाला दुनियाभर की महिलाओं के लिए वो आवाज़ बनी जिन्होंने अज्ञान के अंधकार में अपनी शिक्षा का दीप जलाया है। हर साल 12 जुलाई को विश्वभर में मलाला दिवस मनाया जाता है। यह दिवस पाकिस्तान की समाज सेवी नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई के जन्मदिन पर मनाया जाता है। मलाला की कहानी दुनिया के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है। साथ ही मलाला हर महिला के लिए एक सुपर वुमन की तरह है जिसने अपनी शिक्षा के अधिकार के लिए गोली भी खाई फिर भी मलाला ने अपने आवाज़ को कम नहीं होने दिया। चलिए जानते हैं इस दिवस से जुड़ी सभी जानकारी के बारे में...
क्या है वर्ल्ड मलाला डे का इतिहास?
विश्व मलाला दिवस की शुरुआत 2013 में की गई थी। इस दिवस के शुरू होने के एक साल बाद मलाला को पाकिस्तान में तालिबान बंदूकधारी ने गोली मार दी थी। इस घटना को देखते हुए दुनियाभर के लोग मलाला के हित में खड़े हुए और इस मामले की गंभीरता व शिक्षा की वकालत करने के लिए सभी ने मिलकर आवाज़ उठाई। तबसे हर साल दुनियाभर के लोग उनके सम्मान के लिए 12 जुलाई को विश्व मलाला दिवस मनाते हैं। उनका जन्म 12 जुलाई 1997 को मिंगोरा, पाकिस्तान में हुआ था।
दरअसल 2012 में मलाला को तालिबान द्वारा गोली मारी गई थी। गोली मारने की वजह थी कि मलाला ने महिलाओं की शिक्षा के अधिकार पर आवाज़ उठाई थी। यह दिन 2012 में मलाला को तालिबान द्वारा गोली मारे जाने के बाद से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। साथ ही उन चुनौतियों को भी पहचानने का अवसर है जो आज भी महिलाओं की शिक्षा में रूकावट हैं। विश्व मलाला दिवस के माध्यम से हम शिक्षा के लिए उनकी लड़ाई को याद कर सकते हैं और उन लाखों बच्चों की दुर्दशा की ओर ध्यान दिला सकते हैं जो अभी भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच से वंचित हैं।
क्या है मलाला दिवस का महत्व?
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यह दिवस शिक्षा असमानता से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है।
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मानवता के अधिकार के प्रति युवाओं को जागरूक होना और इन अधिकारों के हित में आवाज़ उठानी चाहिए।
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नारियों को सशक्त बनाना और समाज को सकारत्मकता दिशा की और लेजाना भी इस दिवस का लक्ष्य है।