भाग्यश्री, नाम तो उस गुड़िया सी दिखने वाली लड़की का है, पर अनुभूति अपने को होती है जब वो आपके द्वार पर जाने-माने लोक संस्कृति नायक पल्लवी, राज बेटी मुद्रा के साथ आ खड़ी होती है। नाम को सार्थक करती, दिल जीत लेने वाली मुस्कान लिए एक मेहनतकश पिता और चतुर्थ श्रेणी सेवाकार की अर्धांगिनी ने दिखावे और चोंचलों से कोसों दूर अपनी एक नई अलख जलाई। 31वर्षीया भाग्यश्री ने अपनी कर्मभूमि स्थल श्मशान को चुना। वो लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार अपने पैसों से खुद करती है। मेरे परिवार की 'श्री' यह है कि इस पुण्यात्मा पर मुद्रा फिल्म बैनर द्वारा बनने वाली डाक्यूमेंट्री जिसका पावन दायित्व बेंद्रे दंपत्ति बखूबी निर्वाह कर रहे हैं, उसी में हमें अपने विचारों को व्यक्त करने का सौभाग्य मिला। पूरा नाम है 'भाग्यश्री खरखड़िया।'
सौभाग्य इसलिए कि अंतिम संस्कार पुण्यों के पुण्य कर्म की श्रेष्ठता में आता है। शास्त्रों में भी यह महत्वपूर्ण भाव रखता ही है। कथिततौर पर महिलाओं के लिए वर्ज्य माने जाने वाले कार्यों में से है बावजूद इसके की श्मशान में महिलाओं के लिए जहां जाना भी निषेध हो वहां 'शिव' रूप में 'शक्ति' हो अग्निदेव को शव स्वाहा करने का माध्यम होना अद्भुत है और इसके लिए अपने अहसास अभिव्यक्ति का संयोग मिलना विलक्षण योग ही है।
जिसका कोई नहीं उसके लिए भाग्यश्री अपने मनुष्यधर्म का तन मन धन से मुक्तिमार्ग का माध्यम बनती है। यही नहीं आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को स्कूल में दाखिले दिलवाने, गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुचाने, महिला कानूनों के प्रचार प्रसार के साथ से वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनी पुलिस पंचायत में भी कम कर चुकी है। 2016 में अपने प्रेरणा पुंज स्व.अमरजीत सिंह सूदन के साथ काम करते हुए विक्रम विश्वविद्यालय से आर्कोलॉजी में डॉक्टरेट भाग्यश्री ने अब पूरा दायित्व अपने कन्धों पर उठा लिया है।
पहली बार जब इस सेवा को हाथों में लिया था तब अपने पिता को मोक्षभूमि से फोन किया था। पिता का आशीर्वचन 'ईश्वर को महसूस करने का सबसे अच्छा स्थान श्मशान ही है' को अपना परम धर्म बना चुकी है। पुलिस, प्रशासन और श्मशान प्रबंधन भी अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करते है। भाग्यश्री की इस सेवा के जरिये सूदन साहब को चिरस्मृति बना देने के रूप में अपने वचन को निभाया। वे भाग्यश्री को हमेशा कहा करते थे कि 'मैं तेरे जरिए जिंदा रह सकता हूं।'
कई सम्मान, अवार्ड से सम्मानित भाग्यश्री ईश्वर में अगाध श्रद्धा और अटूट विश्वास रखती है। मानती है कि ईश्वर ही सबसे बड़ा 'प्लानर' हैं। तभी तो मानवता की सेवा करने वाली यह बेटी मिसाल और मशाल है, धधकती उस रोशनी के ताप के साथ जो जीवंत हमें चेताती है ...
'राम नाम सत्य है, सत्य बोलो गत्य है...'