लखनऊ। उप्र वाणिज्य कर विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर अनूप कुमार पांडेय पर आरोप है कि उन्होंने अपनी डेढ़ वर्षीया बेटी के साथ अश्लील हरकतें कर उसका यौन उत्पीड़न किया, जिससे उसकी हालत बिगड़ गई और वह मरणासन्न हो गई। बेटी की हालत अत्यंत नाजुक बनी हुई है तथा पत्नी दर-दर की ठोकरें खा रही है।
पत्नी का कहना है कि मेरी व पुत्री की जान को खतरा हो गया है। मेरी पुत्री को कभी भी मुझसे छीना जा सकता है। इसी प्रकार विवाह के पश्चात पति अनूप कुमार व ससुरालीजनों द्वारा दहेज के लिए शारीरिक व मानसिक रूप से निरंतर प्रताड़ित किया जा रहा है।
यह भी आरोप है कि असिस्टेंट कमिश्नर द्वारा अन्य लड़कियों के साथ रंगरेलियां मनाई जाती हैं, जिससे विवश होकर उनकी पत्नी को पुलिस की शरण लेनी पड़ी। बड़ी जद्दोजहद के बाद महिला थाने, हजरतगंज में पत्नी की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज कर की गई है।
हजरतगंज महिला थाने में पुलिस ने पति अनूप कुमार पांडेय व अन्य ससुरालीजन के खिलाफ़ एफआईआर सं0-0077 के तहत भादसं की धारा 498-ए, 376, लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम की धारा 3ख, 4 व 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मामला गत 12 मई को दर्ज कर विवेचना प्रारंभ कर दी गई है।
दर्ज प्राथमिकी के अनुसार प्रार्थिनी पत्नी अनुप कुमार पांडेय, पुत्री डॉ. नीरज चौबे मकान नं.- सी-1/76, विक्रांत खंत गोमती नगर, थाना विभूति खंड लखनऊ की निवासी है। प्रार्थिनी का विवाह 10 दिसंबर 2013 को अनूप पांडेय पुत्र रामलोटन पांडेय निवासी भौता, कमालपुर, थाना टिडियावां (हरदोई) के साथ हुआ था। पति वाणिज्य कर विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत है। विवाह के पश्चात से ही पति व अन्य ससुराल वालों द्वारा दहेज के लिए प्रार्थिनी को शारीरिक व मानसिक रूप से निरंतर प्रताड़ित किया जा रहा है।
शिकायत के अनुसार 24 जनवरी 2016 को प्रार्थिनी ने एक पुत्री को जन्म दिया। पुत्री के जन्म के पश्चात प्रार्थिनी एवं उसकी अबोध पुत्री के साथ अत्याचार किया जाने लगा। महिला का आरोप है कि 27 जून 2017 को रात्रि 11.30 बजे के लगभग प्रार्थिनी के पति अपनी डेढ़ वर्षीय पुत्री के साथ अश्लील हरकतें करने लगे। इससे वह जोर-जोर से रोने लगी तथा उसकी हालत बहुत खराब हो गई, वह मरणासन्न स्थिति मे हो गई। किसी तरह से प्रार्थिनी ने अपनी पुत्री को अपने पति के चंगुल से छुड़ाकर 1090 पर सूचना दी।
महिला के मुताबिक सूचना पर पुलिस आई तथा पति से पूछताछ भी की तथा उनके द्वारा उसी स्तर पर अपनी गलती भी मानी गई। लेकिन, उनके पद के प्रभाव से उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई साथ ही मेरी पुत्री को चिकित्सा सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराई गई।