Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

कृष्ण, द्रौपदी और कर्ण के शरीर में थी ये समानता, जानिए तीनों के बीच का रहस्य

हमें फॉलो करें कृष्ण, द्रौपदी और कर्ण के शरीर में थी ये समानता, जानिए तीनों के बीच का रहस्य

अनिरुद्ध जोशी

महाभारत में कुं‍ती पुत्र युधिष्ठिर, अर्जुन और भीम एवं माद्री पुत्र नकुल और सहदेव की पत्नी द्रौपदी थीं। राजा द्रुपद की बेटी द्रौपदी को पांचाली भी कहा जाता है। कुंती के एक और पुत्र कर्ण थे। कर्ण को कुंती ने विवाह पूर्व जन्म दिया था और एक नदी में बहा दिया था। अधिरथ नामक एक रथी को कर्ण मिले और उन्होंने उसे पाला था। उस रथी की पत्नी का नाम राधे था इसलिए कर्ण को राधेय भी कहा जाता है। बहुत कम लोगों को ज्ञात होगा कि कर्ण, द्रौपदी और श्रीकृष्ण के शरीर में एक समानता थी। आओ जानते हैं कि वह क्या समानता थी?
 
 
समानता : कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की मांसपेशियां मृदु परंतु युद्ध के समय विस्तॄत हो जाती थीं इसलिए सामान्यत: लड़कियों के समान दिखने वाला उनका लावण्यमय शरीर युद्ध के समय अत्यंत कठोर दिखाई देने लगता था। कहते हैं कि यही खासियत द्रौपदी और कर्ण के शरीर में भी थी। इसका मतलब यह कि ये तीनों लोग वक्त के साथ अपने शरीर को कोमल या कठोरतम बना लेते थे।
 
 
कृष्ण और द्रौपदी : भगवान श्रीकृष्ण और द्रौपदी अच्छे मित्र थे। द्रौपदी उन्हें सखा तो कृष्ण उन्हें सखी मानते थे। कृष्ण ने द्रौपदी के हर संकट में साथ देकर अपनी दोस्ती का कर्तव्य निभाया था। एक अन्य कथा के अनुसार जब श्रीकृष्ण द्वारा सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया गया, उस समय श्रीकृष्ण की अंगुली भी कट गई थी। अंगुली कटने पर श्रीकृष्ण का रक्त बहने लगा। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर श्रीकृष्ण की अंगुली पर बांधी थी।
 
 
इस कर्म के बदले श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को आशीर्वाद देकर कहा था कि एक दिन मैं अवश्य तुम्हारी साड़ी की कीमत अदा करूंगा। इन कर्मों की वजह से श्रीकृष्ण ने द्रौपदी के चीरहरण के समय उनकी साड़ी को इस पुण्य के बदले ब्याज सहित इतना बढ़ाकर लौटा दिया और उनकी लाज बच गई। द्रौपदी का मूल नाम कृष्णा था।
 
 
कर्ण और द्रौपदी : द्रौपदी स्वयंवर के समय एक अजीब घटना घटी। द्रौपदी के स्वयंवर में जरासंध, शल्य, शिशुपाल, दुर्योधन, दु:शासन आदि कौरव सहित बड़े-बड़े महारथी पहुंचे थे। प्रतियोगिता में घुमती हुई मछली की आंख पर निशाना लगाना था और वह भी जल में देखकर। जरासंध को श्रीकृष्ण ने अपनी चाल से प्रतियोगिता से हटा दिया। उसके साथ और राजा भी हट गए। तब कौरवों को सबसे पहले प्रतियोगिता में आमंत्रित किया गया। सभी निशान चूक गए। कौरवों के असफल होने पर दुर्योधन के परम मित्र कर्ण ने मछली को निशाना बनाने के लिए धनुष उठाया, किंतु उन्हें देखकर द्रौपदी बोल उठीं- 'यह सूतपुत्र है इसलिए मैं इसका वरण नहीं कर सकती।' द्रौपदी के वचनों को सुनकर कर्ण ने लज्जित होकर धनुष-बाण रख दिया। अब अर्जुन की बारी थी। अर्जुन ने लक्ष्य भेद दिया।
 
 
कहते हैं कि द्रौपदी कर्ण से विवाह करना चाहती थी, लेकिन जब उसे पता चला कि कर्ण तो सूतपुत्र है तो उसने अपना इरादा बदल दिया। यह भी कहा जाता है कि द्रुपद और कर्ण आदि के दबाव में आकर उसने इरादा बदलकर भरी सभा में कर्ण का अपमान किया ताकि उससे हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सके। बाद में सभी के दबाव के चलते उसने पांचों पांडवों को अपना पति मान लिया। कहते हैं कि बाद में जब द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था, तो कर्ण ने चुप रहकर द्रौपदी से अपने अपमान का बदला लिया था।


कर्ण और कृष्ण : युद्ध में एक ओर कृष्ण थे, तो दूसरी ओर कर्ण। कर्ण दुर्योधन के तो कृष्ण, अर्जुन के दोस्त थे। यदि युद्ध में कर्ण को असहाय स्थिति में देखकर नहीं मारा जाता, तो अर्जुन की क्षमता नहीं थी कि वे कर्ण को मार देते। कृष्ण की नीति के तहत ही कर्ण का विवाह द्रौपदी से होने से रोक दिया, कृष्ण ने ही अपनी नीति से उनके कवच-कुंडल हथियाए और इन्द्र द्वारा दिया गया एकमात्र अचूक अमोघ अस्त्र जो वह अर्जुन पर चलाना चाहता था, वह घटोत्कच पर चलवाया गया। इस तरह हम देखते हैं कि युद्ध के पहले से ही कर्ण और कृष्ण के बीच छद्मयुद्ध चलता रहा था। वो कृष्ण ही थे जिन्होंने ऐन वक्त पर नीति के तहत ही कर्ण को यह बताया था कि कुंती तुम्हारी मां है। लेकिन युधिष्‍ठिर और अर्जुन को इस बात का ज्ञात नहीं था कि कर्ण हमारा बड़ा भाई है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

श्रावण मास में जपें 3 कृष्ण मंत्र और 3 शिव मंत्र, हर तरह के संकट का होगा अंत