Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

2 साल से कोरोना से बचा हुआ था यह देश, लेकिन अब आ गया संक्रमण

हमें फॉलो करें 2 साल से कोरोना से बचा हुआ था यह देश, लेकिन अब आ गया संक्रमण

DW

, शनिवार, 5 फ़रवरी 2022 (07:44 IST)
कुछ देश और कुछ द्वीप थे, जो बाकी दुनिया से कटे हुए थे। महामारी की शुरुआत में यही उनकी ताकत थी, लेकिन अब यही उनकी दिक्कत बन गई है। आइए आपको टोंगा समेत कई द्वीपों का हाल बताते हैं।
 
प्रशांत महासागर में द्वीपीय देश टोंगा अभी तक कोरोना वायरस को अपनी सीमा से दूर रखने में कामयाब रहा था। फिर पिछले महीने यहां समुद्र के भीतर ज्वालामुखी विस्फोट हुआ, जिससे सुनामी आ गई। सुनामी ने भयानक तबाही मचाई। स्थानीय लोगों को ताजा पानी और दवाओं की सख्त जरूरत थी। ये चीजें आईं तो जरूर, लेकिन साथ में कोरोना वायरस भी चला आया। शुक्रवार को यहां कोरोना संक्रमण का एक नया केस मिला।
 
अब यहां ओपेन लॉकडाउन लगा हुआ है। स्थानीय निवासी उम्मीद जता रहे हैं कि इससे संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी और यह दौर लंबा नहीं चलेगा। टोंगा के एक व्यापारी पाउला टाउम्पेपू कहते हैं, "हमारे पास बहुत कम संसाधन हैं और हमारे अस्पताल बहुत छोटे हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई स्वास्थ्य तंत्र इसका सामना कर सकता है। हम खुशकिस्मत हैं कि दो साल से हमारी वैक्सीन दर अच्छी थी। हमने जल्दी लॉकडाउन लगाया।"
 
जो ताकत थी, अब कमजोरी है
टोंगा प्रशांत महासागर के उन द्वीपीय देशों में से है, जो बीते कुछ महीनों में ही कोरोना की जद में आए हैं। इन सभी के पास सीमित स्वास्थ्य सुविधाएं हैं। अब इनकी चिंता है कि बाकी दुनिया से जिस दूरी की वजह से अभी तक ये संक्रमण से बचे हुए थे, वही दूरी अब इनके लिए मुश्किलें पैदा करने वाली है।
 
रेड क्रॉस में एशिया-प्रशांत के स्वास्थ्य प्रमुख जॉन फ्लेमिंग कहते हैं, "साफतौर पर जब देश अपनी पूरी क्षमता लगा रहे हों और उनका स्वास्थ्य तंत्र बेहद नाजुक हो, ऐसे में कोई आपदा आने पर आप संक्रमण का सामना करते हैं, तो निश्चित तौर से हालात और खराब ही होते हैं।"
 
15 जनवरी को समुद्र के अंदर ज्वालामुखी फूटने के बाद टोंगा स्लेटी राख से लद गया था। इसके बाद आई सुनामी से बहुत तबाही हुई। इसमें तीन लोगों की जान चली गई है और द्वीप के बाहरी हिस्से में तमाम घर-दुकानें नक्शे से गायब ही हो गए। ज्वालामुखी से निकली राख ने पीने के बहुत सारे पानी को खराब कर दिया।
 
कहां से हुई थी शुरुआत
1।05 लाख आबादी वाले इस देश में महामारी की शुरुआत से कोरोना का सिर्फ एक केस सामने आया था। अक्टूबर में लेटर डे सेंट्स की चर्च का एक मिशनरी न्यूजीलैंड होते हुए अफ्रीका से लौटा था। तब प्रशासन के बीच बहुत बहस हुई कि अंतरराष्ट्रीय मदद को आने दिया जाए या न आने दिया जाए। आखिरकार उन्होंने तय किया कि वे मदद आने देंगे।
 
फिर अब जब ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान, ब्रिटेन और चीन से जहाजों और विमानों में सामान लादा जा रहा था, तब बहुत सावधानी भी बरती गई। फिर मंगलवार को पता चला कि राजधानी क्वीन सलोट हार्फ में शिपमेंट संभालने वाले टोंगा के दो पुरुषों का कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया है। हालांकि, अभी तक यह पता नहीं चला है कि कोविड का कौन सा वेरिएंट टोंगा पहुंचा है।
 
टोंगा को बाकी दुनिया से जोड़ने वाली यहां की इकलौती सरकारी फाइबर ऑप्टिक केबल कंपनी के चेयरमैन कहते हैं कि इस साल टोंगा की किस्मत ही खराब है। वे बड़ी शिद्दत से किसी अच्छी खबर का इंतजार कर रहे हैं। पॉजिटिव पाए गए दोनों लोगों को आइसोलेट कर दिया गया, लेकिन उनके संपर्क में आए 36 लोगों का टेस्ट करने पर एक की पत्नी और दो बच्चे भी संक्रमित पाए गए।
 
अब उन सभी लोगों का पता लगाया जा रहा है, जो 29 जनवरी के बाद से इन दोनों के संपर्क में आए हैं। सरकार ने कुछ इलाकों की लिस्ट भी जारी की है, जहां लॉकडाउन लागू किया गया है। इसमें एक चर्च, कुछ दुकानें, एक बैंक और एक केजी स्कूल शामिल है। ज्वालामुखी विस्फोट के बाद केबल कनेक्शन प्रभावित होने से अभी सरकार रेडियो के जरिए लोगों तक अपनी बात पहुंचा रही है।
 
वैक्सीन लगने के बाद भी चिंता
'अवर वर्ल्ड' के डेटा के मुताबिक अब तक 61 फीसदी टोंगावासियों को कोविड वैक्सीन लग चुकी है। विशेषज्ञों की चिंता यह है कि इस द्वीप पर अभी तक लोगों को कोरोना संक्रमण नहीं हुआ था, इसलिए हो सकता है कि उनके शरीरों में नैचुरल इम्युनिटी न हो। यह भी स्पष्ट नहीं है कि जिन लोगों को वैक्सीन काफी पहले लगी थी, क्या उनके अंदर इम्युनिटी अब भी प्रभावी है या नहीं।
 
अक्टूबर में संक्रमित मिशनरी का मामला सामने आने पर जोर-शोर से टीकाकरण किया गया था। इस बार कोरोना संक्रमण की शुरुआत होने के बाद से हजार लोग कोविड का टीका लगवाने आ चुके हैं। सोलोमन द्वीप पर भी यही देखने को मिल रहा है। यहां की सिर्फ 11 फीसदी आबादी को टीका लगा है और 19 जनवरी से यहां कोविड संक्रमण का पहला कम्युनिटी प्रसार शुरू हो गया है। यहां वायरस तेजी से फैल रहा है।
 
जनवरी में साइक्लोन से जूझने वाला फिजी भी संक्रमण के बढ़ते मामलों से निपटने में लगा है। किरीबाती, समोआ और पलाऊ में भी संक्रमण के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। पलाऊ की लगभग पूरी आबादी को टीका लग चुका है। वहीं फिजी में 68, समोआ में 62 और किरिबाती में 33 फीसदी लोगों को टीके लगे हैं।
 
वीएस/ओएसजे (एपी, रॉयटर्स)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

चीन यूक्रेन संकट में रूस के साथ क्यों खड़ा है? जानिए चीन की रणनीति