उत्तर प्रदेश चुनावों में खड़े हो रहे 20 प्रतिशत उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। ऐसे उम्मीदवार लगभग सभी पार्टियों में मौजूद हैं। इनमें से कई के खिलाफ हत्या, हत्या की कोशिश और बलात्कार के मामले दर्ज हैं।
ये आंकड़े चुनावी सुधारों के लिए काम करने वाले संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों से निकाले हैं। इसके लिए सिर्फ उन्हीं उम्मीदवारों को चुना गया जो उन सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं जहां पहले चरण में मतदान होना है।
एडीआर ने बीजेपी, कांग्रेस, एसपी, बीएसपी, आरएलडी और आम आदमी पार्टी के 615 उम्मीदवारों द्वारा खुद दायर किए उन्हीं के हलफनामों का अध्ययन किया। संस्था ने पाया कि इनमें से 25 प्रतिशत (कुल 156) उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं और 20 प्रतिशत (कुल 121) के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। छह उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ हत्या के मामले और 30 के खिलाफ हत्या की कोशिश के मामले दर्ज हैं।
सभी पार्टियों में दागी उम्मीदवार
12 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के अलग अलग मामले दर्ज हैं। इनमें से एक के खिलाफ तो बलात्कार का एक मामला दर्ज है। ये उम्मीदवार लगभग सभी पार्टियों में मौजूद हैं। सबसे आगे एसपी है जिसके 75 प्रतिशत (28 में से 21) उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले और 61 प्रतिशत (17) उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
एसपी के बाद नंबर है आरएलडी का, जिसके 59 प्रतिशत (29 में से 17) उम्मीदवार आपराधिक मामलों का और 52 प्रतिशत (15) उम्मीदवार गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं। इसके बाद बारी है बीजेपी की जिसके 51 प्रतिशत (57 में से 29) उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले और 39 प्रतिशत (22) उम्मीदवारों के खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कांग्रेस में 36 प्रतिशत (58 में से 21) उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले और 19 प्रतिशत (11) उम्मीदवारोंके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। बीएसपी पांचवें नंबर पर है और आम आदमी पार्टी छठे स्थान पर।
इसके अलावा एडीआर ने पता लगाया है कि अध्ययन के लिए चुने गए 58 निर्वाचन क्षेत्रों में से आधे से ज्यादा (31) में तीन से ज्यादा ऐसे उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। एडीआर इन्हें रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र कहता है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश
एडीआर ने बताया कि पार्टियों ने इन उम्मीदवारों के चयन में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया है। फरवरी 2020 में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पार्टियों को उम्मीदवारों के चयन के कारण सार्वजनिक करने चाहिए और यह भी बताना चाहिए कि ऐसे लोगों को क्यों नहीं चुना गया जिनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है।
अदालत के दिशा निर्देशों के अनुसार पार्टियों को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि जिन उम्मीदवारों को चुना गया उनकी क्या योग्यताहै, क्या उपलब्धियां हैं और क्या विशेषता है।
इन आंकड़ों के अलावा एडीआर का यह भी कहना है कि इन सभी पार्टियों ने धनी उम्मीदवारों को ही टिकट दिए हैं जिससे राजनीति में धन की शक्ति की भूमिका दिखाई देती है। संस्था के मुताबिक इन 615 उम्मीदवारों की घोषित संपत्ति को देखने पर पाया गया कि इनमें से लगभग आधे (280) करोड़पति हैं।
163 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनकी संपत्ति 50 लाख से दो करोड़ रुपयों के बीच है, 84 उम्मीदवारों की संपत्ति दो करोड़ से पांच करोड़ रुपये के बीच है और 104 उम्मीदवारों की घोषित संपत्ति तो पांच करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। सभी 615 उम्मीदवारों की संपत्ति का औसत ही 3।72 करोड़ रुपये है।
सबसे धनी उम्मीदवार हैं बीजेपी के टिकट पर मेरठ कैंटोनमेंट से लड़ने वाले अमित अग्रवाल, जिनकी घोषित संपत्तिहै 148 करोड़ रुपये। इनके बाद हैं बीएसपी के टिकट पर मथुरा से चुनाव लड़ने वाले एसके शर्मा, जिनकी संपत्ति है 112 करोड़ रुपये। एसपी के टिकट पर सिकंदराबाद से चुनाव लड़ने वाले राहुल यादव की संपत्ति है 100 करोड़ रुपये। एसपी के टिकट पर सिकंदराबाद से चुनाव लड़ने वाले राहुल यादव की संपत्ति है 100 करोड़ रुपये।