यूरोपीय संघ की दवा नियामक एजेंसी ईएमए ने कोरोना से बचाने वाली गोली को मंजूरी दे दी है। यह यूरोप में वायरस से बचाने वाली पहली दवा है जिसे निगला जा सकता है। अब कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल में भर्ती होने से बच सकेंगे।
अभी तक के रिसर्चों से पता चला है कि पैक्सलोविड नाम की यह दवा कोविड संक्रमित लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं होने देती और गंभीर मरीजों की जान बचाने में सक्षम है। यह दवा कोविड के ओमिक्रॉन वेरिएंट से भी बचाव में कारगर है। गोलियों को इस महामारी से जंग में बड़े हथियार के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि इन्हें घर पर रह कर भी लिया जा सकता है, अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी (ईएमए) ने बयान जारी कर कहा है, "पैक्सलोविड पहली एंटीवायरल दवा है जो मुंह के रास्ते दी जा सकती है और यूरोपीय संघ में इसे कोविड-19 के इलाज के लिए स्वीकृति दी जाती है।" अमेरिका, कनाडा, इस्राएल उन मुट्ठी भर देशों में शामिल हैं जिन्होंने पहले ही फाइजर कंपनी की बनाई इस गोली को हरी झंडी दिखा दी है। यूरोपीय संघ को अब इस पर औपचारिक रूप से मुहर लगाना है जो महज एक प्रक्रिया भर है जिसमें आम तौर पर कुछ घंटे या फिर दिन लग जाते हैं।
यूरोपीय संघ की स्वास्थ्य आयुक्त स्टेला किरियाकेडेस ने एक बयान जारी कर कहा है, "पैक्सलोविड हमारे पोर्टफोलियो में पहली ऐसी दवा है जो मुंह से ली जा सकती है और इसमें कोविड के गंभीर मरीज बनने वालों पर असर डालने की क्षमता है। हमने ओमिक्रॉन और दूसरे संस्करणों पर भी पैक्सलोविड के कारगर होने के सबूतों को देखा है।"
फाइजर की यह दवा एक नए मॉलिक्यूल पीएफ-07321332 और एचआईवी एंटीवायरल रिटोनाविर का मिश्रण है जिन्हें अलग अलग गोलियों के रूप में लिया जाता है। ईएमए का कहना है, "कोविड के जिन वयस्क मरीजों को बाहर से ऑक्सीजन देने की जरूरत नहीं है और जिनमें बीमारी के बढ़ने का खतरा है उनके इलाज में पैक्सलोविड के इस्तेमाल को स्वीकृति दी गई है।"
ईएमए के विशेषज्ञों ने एक रिसर्च देखी है जिसमें, "पैक्सलोविड से इलाज ने मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने के जोखिम को बिल्कुल घटा दिया या फिर जिन मरीजों को बीमारी के गंभीर होने के कारण अस्पताल में भर्ती करने की नौबत थी उनकी मौत को रोक दिया।" मरीजों में बीमारी के लक्षण दिखना शुरू होने के पांच दिन के भीतर गोलियां खिलाई गईं और उसके बाद के महीने में जिन 1309 लोगों पर इस दवा का परीक्षण किया गया उनमें 0।8 फीसदी को ही अस्पताल ले जाने की नौबत आई। जिन मरीजों को प्लेसिबो दिया गया था उनमें से 6।3 फीसदी मरीजों को अस्पताल ले जाने की नौबत आई।
ईएमए का कहना है कि पैक्सलोविड ग्रुप में एक भी मरीज की मौत नहीं हुई जबकि प्लेसिबो ग्रुप में परीक्षण के दौरान 9 लोगों ने अपनी जान गंवाई। बीते साल दिसंबर में ईएमए ने अलग अलग देशों को अपने स्तर पर पैक्सलोविड के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए निर्णय लेने की मंजूरी दे दी थी लेकिन पूरे यूरोपीय संघ के लिए स्वीकृति को रोक दिया गया। ईएमए अमेरिकी दवा कंपनी मैर्क के एक और कोविड रोधी गोली के आवेदन पर फैसला लेने के लिए उसका परीक्षण कर रही है।
वैक्सीन से अलग फाइजर की दवा स्पाइक प्रोटीन को निशाना नहीं बनाता है जिसका इस्तेमाल आमतौर पर कोरोना वायरस कोशिकाओं में घुसने के लिए करते है। इसलिए सैद्धांतिक रूप से यह नए संस्करण विकसित होने से रोकने में ज्यादा कारगर है।