तुम्हें नहीं क्या उठना बेटे,
किन सपनों में अब तक खोए।
दादाजी तो कब से उठकर,
करने लगे योग अभ्यास।
दादी जी भी गौशाला में,
खिला रहीं गायों को घास।
पापाजी ने नहा लिया है,
अपने सारे कपड़े धोए।
तेरी दीदी ने भी उठकर,
हल कर डाले पांच सवाल।
होम वर्क का बोझा सिर से,
मज़े-मज़े से दिया निकल।
चाचा-चाची ने क्यारी में,
बीज सेम, भिंडी के बोए।
सभी पडोसी मित्र तुम्हारे,
खेल रहे टेनिस का खेल।
बड़े पिताजी देख रहे हैं,
मोबाइल में आए मेल।
सब्ज़ी वाली काकी आईं,
हरी सब्जियां सिर पर ढोए।
सुबह-सबेरे जल्दी उठना,
दिया बड़े बूढों ने ज्ञान।
सूर्य उदय पर जो उठते हैं।
वे बनते हैं बड़े महान।
उठकर जल्दी कर डालो सच,
जो भी तुमने स्वप्न संजोए।
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