Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

बाल गीत : श्रम के अखाड़े

हमें फॉलो करें बाल गीत : श्रम के अखाड़े
webdunia

प्रभुदयाल श्रीवास्तव

, सोमवार, 4 नवंबर 2024 (17:01 IST)
गर्मी हो या जाड़े जी, 
हमने पढ़े पहाड़े जी।
 
सुबह-सुबह रट्टा मारा,
गिनती सौ तक पढ़ डाली।
फिर सीखी उलटी गिनती,
सौ से ज़ीरो तक वाली।
 
पन्ने ढेरों लिख डाले,
लिख-लिख कर कई फाड़े जी।
 
दो से लेकर दस तक के,
पढ़े पहाड़े बीसों बार।
शाम ढले तक किसी तरह,
करना थे सारे तैयार।
 
भूल गए लेकिन सब कुछ,
पापा खूब दहाड़े जी।   
 
एक चित्त होकर पढ़ना,
मम्मी जी का कहना है।
सद-उपयोग समय का हो,
यह जीवन का गहना है।
 
विजय श्री दिलवाते हैं,
श्रम के सभी अखाड़े जी।

(वेबदुनिया पर दिए किसी भी कंटेट के प्रकाशन के लिए लेखक/वेबदुनिया की अनुमति/स्वीकृति आवश्यक है, इसके बिना रचनाओं/लेखों का उपयोग वर्जित है...)
      

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कितनी खिचड़ी खाकर मिलिंद सोमन रहते हैं फिट, जानिए एक्टर की सेहत का राज