बकरी जी ने कहा शेर से ,
तुम जंगल के राजा हो।
सब से ज्यादा फुर्तीले हो,
बल में सबसे ज्यादा हो।
जंगल का कोई भी प्राणी,
तुम्हें हरा न पाता है।
तुम्हें देखकर नौ दो ग्यारह,
पल भर में हो जाता है।
पर तुमने न गीत लिखे हैं,
न ही लिखी कहानी है।
जीवन व्यर्थ गंवाया राजा,
कैसी ये नादानी है।
कविता गीत कहानी कैसे,
अज़र अमर हो जाते हैं।
इनके लिखने वाले ही तो,
पथ दर्शक बन जाते हैं।
तुम भी लिख डालो कुछ राजा,
राजा जैसे काम करो।
बाल कहानी, बाल गीत ही,
लिखकर कुछ तो नाम करो।
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