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नई शायरी
जो मंजर तलाश करता है....
मिट्टी में मिलाना कि खिलौना हो जाऊँ
आपसे होगा यक़ीनन मेरा रिश्ता कोई
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा
ऐसे सवाल मत करना
बिगड़ते रिश्तों को फिर से बहाल मत करना, जो टूट जाएँ तो उनका ख़याल मत करना।
मुनव्वर राना की ग़ज़ल
तू कभी देख तो रोते हुए आकर मुझको , रोकना पड़ता है पलकों से समंदर मुझको ...
मेरी ग़ज़ल
तुम्हारे जिस्म की खुशबू...
मुनव्वर राना की ग़ज़ल
मुनव्वर राना की ग़ज़ल
जो हुक्म देता है वो इल्तिजा भी करता है, ये आसमान कहीं पर झुका भी करता है ...
दिल ही दुखाने के लिए आ
उसमें गहराई समंदर की कहाँ
चहचहाकर सारे पंछी उड़ गए वार जब सैयाद का खाली गया
बात जो थी गौतम-ओ-मूसा में
फ़ासले इस कदर हैं रिश्तों में, घर ख़रीदा हो जैसे क़िश्तों में...
रेहबर इन्दौरी
कभी यक़ीन का यूँ रास्ता नहीं बदला बदल गए हैं ज़माने ख़ुदा नहीं बदला
रुपायन इन्दौरी के क़तआत
बेकल उत्साही की ग़ज़ल
आप से बात करेंगे कभी तन्हाई में
बेख़्याली का बड़ा हाथ है रुसवाई में आप से बात करेंगे कभी तन्हाई में
मुनव्वर राना की ग़ज़लें (1)
त्रिमोहन की ग़ज़लें
उदास शहर में जब जब भी हँसी आती है किसी ग़रीब के चहरे पे चिपक जाती है
राहत इन्दौरी की ग़ज़लें
मुर्ग़, माही, कबाब ज़िन्दाबाद हर सनद हर ख़िताब ज़िन्दाबाद
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