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शेरो-अदब
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी....
कुछ पता तो चले
लगता नहीं है जी मेरा
हर एक बात पे कहते
ग़ज़ल : मीर तक़ी मीर
उलटी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया देखा इस बीमारि-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया
मोमिन की ग़ज़लें
क्यों बुरा कहते हो भला नासेह मैंने हज़रत से क्या बुराई की
शकील बदायूनी
ग़म से कहाँ ऎ इश्क़ मफ़र है रात कटी तो सुबहा का डर है
नश्तर इन्दौरी
मैं तो समझ गया मेरे क़ातिल की आरज़ू ऎ काश वो समझ ले मेरे दिल की आरज़ू
आसिफ़ अली बहादुर - इन्दौर
गरदिश-ए-वक़्त के तूफ़ान से हारा तो नहीं मैंने मुश्किल में किसी को भी पुकारा तो नहीं
अहमद फ़राज़ की ग़ज़लें
नवाब एहसान अली बहादुर ---- इन्दौर
क्या कहें तुम से के हम हिज्र* में क्या करते हैं-------जुदाई याद इक भूलने वाले को किया करते हैं
एहसान बिन दानिश की ग़ज़लें
मैं बेअदब हुआ कि वफ़ा में कमी हुई होंटों पे क्यों है 'मोहरेख़मोशी' लगी हुई---चुप रहने की मोहर
क़ैसर इन्दौरी
चश्म-ए-गुल्चीं में ख़ार हैं हम लोग फिर भी जान-ए-बहार हैं हम लोग
अहमद फ़राज़ की ग़ज़लें
मोमिन की ग़ज़लें
ग़ज़ल : अकबर इलाहाबादी
किस किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा आज़ाद हो चुके थे, बन्दा बना के मारा
ये तो नहीं के ग़म नहीं
ये तो नहीं कि ग़म नहीं हाँ! मेरी आँख नम नहीं
ग़ज़ल---दाग़ देहलवी
अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का याद आता है हमें हाय! ज़माना दिल का
शादाँ इन्दौरी की ग़ज़लें
साज़-ए-दिल* जब सदा नहीं देता-------- दिल का बाजा (साज़) कोई नग़मा* मज़ा नहीं देता---------गीत
वली की ग़ज़लें
ऎ वली सर्व क़द कूँ देखूँगा वक़्त आया है सरफ़राज़ी
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