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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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शादाँ इन्दौरी की ग़ज़लें

हमें फॉलो करें शादाँ इन्दौरी की ग़ज़लें
1. साज़-ए-दिल* जब सदा नहीं देता-------- दिल का बाजा (साज़)
कोई नग़मा* मज़ा नहीं देता---------गीत

दिल से किस तरह जाए याद उनकी
दर्द-ए-दिल* रास्ता नही देता-----------दिल का दर्द

अल्लाह अल्लाह रे कैफ़-ए-क़ुर्ब-ए-दोस्त*-------दोस्त के पास होने की मस्ती
जैसे कोई पिला नहीं देता

जान देता है जो वफ़ा के लिए
इमतेहान-ए-वफ़ा* नहीं देता------------ सचाई की परीक्षा

तजरुबा* है मुझे मोहब्बत का----------अनुभव
मैं तुम्हें मशवरा* नहीं देता----------- सुझा

अब ख़ुदा शायद अपने बंदों को
दिल-ए-दर्द आशना* नहीं देता------ दर्द कमहत्व को समझने वाला दिल

जिसकी सूरत सवाल हो शादाँ
वो भिकारी सदा* नहीं देता ------------आवाज़

2. मुस्कुरा कर मेरे साक़ी ने मुझे जाम दिया
क्या जवाब-ए-सितम-ए-गरदिश-ए-अय्याम* दिया----- ज़माने की कठिनाई का उत्तर

क्या बताएँ दिल-ए-नाकाम ने क्या काम दिया
रंज में ऎश दिए, दर्द में आराम दिया

उसने सरमस्ति-ए-ग़म* दी, दिल-ए-नाकाम दिया------ ग़म में आनन्द
जाम ने बादा* दिया, बादा-ए-बेजाम दिया

माँगने वाले ने बेसोचे दो आलम* माँगे ------ ---- दोनों जहान
देने वाले ने समझ कर दिल-ए-नाकाम दिया

उसने कर दी मेरी मंज़िल मोतअय्यन* जिसने------- तय, फ़िक्स
लुत्फ़-ए-आग़ाज़* के बदले, ग़म-ए-अंजाम दिया------- प्रारम्भ का आनन्द

अक़्ल को हमने बनाकर चमन आरा-ए-हयात* ------ ज़िन्दगी का चम
सुबहा को तोहफ़ा-ए-ख़ुर्शीद-ए-लबे बाम दिया----- छत से चाँद दिखने का तोहफ़ा

एक पैमाने में गुनजाइश-ए-मयख़ाना* कहाँ------- गागर में सागर वाली बात
हमने दुनिया को तेरे इश्क़ का पैग़ाम दिया

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