गोगा नवमी : महत्व, मुहूर्त और खास बातें
- राजश्री कासलीवाल
31 अगस्त 2021, मंगलवार को भाद्रपद कृष्णा नवमी के दिन गोगा नवमी मनाई जा रही है। यह त्योहार राजस्थान का लोकपर्व है। गोगा नवमी का त्योहार भारत के अन्य कई राज्यों में भी मनाया जाता है, जहां इस पर्व को गुग्गा नवमी भी कहा जाता है। भाद्रपद महीने में कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन यानी नवमी तिथि को गोगा नवमी पर्व के रूप में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है ।
गोगा जी राजस्थान के लोक देवता हैं, जिन्हें 'जाहरवीर गोगा जी' के नाम जनमानस में जाना जाता है। इस दिन श्री जाहरवीर गोगा जी का जन्मोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया जाता है। गोगा देव को सिर्फ हिन्दू ही नहीं मुसलमान भी इनको पूजते हैं।
इस दिन को गोगा नवमी के रूप में वाल्मीकि समाज अपने आराध्य देव वीर गोगादेव जी महाराज का जन्मोत्सव परंपरागत श्रद्धा, भक्ति और उत्साह एवं उमंग के साथ हर्षोल्लासपूर्वक मनाते हैं। एक किंवदंती के अनुसार गोगा देव का जन्म नाथ संप्रदाय के योगी गोरक्षनाथ के आशीर्वाद से हुआ था। योगी गोरक्षनाथ ने ही इनकी माता बाछल को प्रसाद रूप में अभिमंत्रित गुग्गल दिया था जिसके प्रभाव से महारानी बाछल से गोगा देव (जाहरवीर) का जन्म हुआ।
गोगा नवमी 2021-
नवमी तिथि मंगलवार, 31 अगस्त 2021 को 2:00 एएम.से शुरू होकर 01 सितंबर, 2021 सुबह 4:23 बजे पर नवमी तिथि समाप्त होगी।
जानिए खास बातें-
1. गोगा नवमी को जाहरवीर गोगा, गोगा बीर, गोगा महाराज, राजा मंडलिक, गुग्गा, गोगा पीर, जाहरपीर, गोगा चौहान और गोगा राणा आदि कई नामों से भी जाना जाता है।
2. भाद्रपद कृष्ण नवमी के दिन राजस्थान, हनुमानगढ़, गोगामेड़ी, गोगा जी मंदिर आदि कई महत्वपूर्ण जगहों पर गोगा देव का पूजन, भजन, कीर्तन, नाग पूजा, मेले आदि लगाए जाते है।
3. गोगा नवमी के दिन जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर साफ वस्त्र धारण करके गोगा देव का पूजन तथा नाग देवता की मूर्ति पर दूध चढ़ाने की मान्यता है।
4. गोगा देव की पूजा के लिए दीवार की गेरू से पुताई करके कच्चे दूध में कोयला मिलाकर चौकोर आकृति बनाने के बाद 5 सर्प बनाते हैं।
5. अब सर्प की आकृतियों पर कच्चा दूध, जल चढ़ाकर रोली, चावल अर्पित करके बाजरा आटा, घी और चीनी मिलाकर चढ़ाया जाता है।
6. इस दिन विधि-विधान से शिव जी का जलाभिषेक करके बिल्व पत्र अर्पित करके 'ॐ नम: शिवाय' मंत्र का अधिक से अधिक जाप करना चाहिए।
7. मान्यतानुसार नाग देव के पूजन के साथ ही रुद्राभिषेक करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
8. मान्यता के अनुसार गोगा देव के पूजा स्थल की मिट्टी को घर पर रखने से सर्पभय से मुक्ति मिलती है।
9. गोगा देव को खीर, चूरमा, गुलगुले आदि पकवानों का भोग लगाएं।
10. इस दिन सांपों के देवता के रूप में गोगा वीर का पूजन किया जाता हैं। लोककथाओं के अनुसार गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में लोकमान्यता है।
11. गुरु गोरखनाथ के द्वारा दिए गए वरदान स्वरूप गोगा नवमी का व्रत पुत्र प्राप्ति के लिए बड़ी श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता हैं।
12. पौराणिक मान्यता के अनुसार गोगा जी महाराज की पूजा करने से सर्पदंश का खतरा नहीं रहता है और सर्पभय से मुक्ति मिलती है।
13. गोगा नवमी के दिन गोगा देव की मिट्टी की मूर्ति अथवा वीर गोगा जी की घोड़े पर सवार तस्वीर को गंगाजल, रोली, चावल, पुष्प आदि से पूजन करने का प्रचलन है। खीर, चूरमा, गुलगुले आदि का प्रसाद तथा गोगा जी के घोड़े पर श्रद्धापूर्वक चने की दाल चढ़ाई जाती है।
14. इस दिन गोगा देव जी की कथा का वाचन किया जाता है।
15. राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गोगामेड़ी शहर में भाद्रपद (भादों) शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को गोगा जी देवता का मेला लगाया जाता है।
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