सितंबर माह में 2 बड़ी एकादशियां आएगी। पहली अजा एकादशी और दूसरी परिवर्तनी एकादशी। एकादशी का व्रत रखने का खास महत्व है। आओ जानते हैं कि यह दोनों एकाशशियां कब आ रही और क्या है इनका महत्व।
3 सितंबर अजा एकादशी -
कब है अजा एकादशी : भाद्रपद माह में कृष्णपक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहते हैं। इस बार उदयातिथि के मान से यह व्रत 3 सितंबर 2021 को रखा जाएगा।
अजा एकादशी का महत्व : भाद्रपद कृष्ण पक्ष में आने वाली यह एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली तथा अश्वमेध यज्ञ का फल देने वाली है। अजा एकादशी से पुत्र पर कोई संकट नहीं आता, दरिद्रता दूर हो जाती है, खोया हुआ सबकुछ पुन: प्राप्त हो जाता है। इस एकादशी का व्रत रखने से भगवान श्रीहरि विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।
17 सितंबर परिवर्तनी एकादशी -
कब है परिवर्तनी एकादशी : भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तनी एकादशी कहते हैं। इसके अलावा इसे जलझूलनी यानी डोल ग्यारस भी कहते हैं। इस बार यह एकादशी 17 सितंबर शुक्रवार को रहेगी।
परिवर्तनी एकादशी का महत्व : इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं। इसीलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। परिवर्तिनी एकादशी के व्रत से सभी दु:ख दूर होकर मुक्ति मिलती है। इस दिन को व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप का जलवा पूजन किया गया था। इसीलिए इसे डोल ग्यारस कहा जाता है। इसी दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सर्वस्व दान में मांग लिया था एवं उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी एक प्रतिमा को राजा बलि को सौंप दी थी, इसी वजह से इसे वामन ग्यारस भी कहा जाता है।