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इंदौर में 11 और 12 अप्रैल को धर्मों का मिलन

हमें फॉलो करें इंदौर में 11 और 12 अप्रैल को धर्मों का मिलन
, सोमवार, 9 अप्रैल 2018 (14:15 IST)
इंदौर में लिटरेचर फेस्टिवल तो होते रहे हैं, संगीत फेस्टिवल भी हुए हैं, अब धर्म फेस्टिवल हो रहा है, जिसे हमसाज नाम दिया गया है और इसमें देशभर के विद्वान हिस्सा ले रहे हैं। 11 और 12 अप्रैल को दो दिन के इस आयोजन में बातचीत होगी, व्याख्यान होगा, सवाल-जवाब होंगे और धर्म पर जितना कुछ भी कहा जाता है, उसे समझाने की कोशिश की जाएगी।
 
अलग-अलग विषय और सवाल-जवाब में जलसे को बांटा गया है और जो साधु-संत, मौलवी, पादरी सुने जाते हैं, उन्हें बुलाया गया है। आयोजकों का कहना है कि मजहब को लेकर कई तरह की बातें होती हैं और उस पर अकसर टकराव भी हो जाता है, इसलिए जरूरी है सबका मिलन कराया जाए और उसके जरिए मोहब्बत की राह खोली जाएं, क्योंकि धर्म जिंदा है तो वजह अच्छाई है, इसलिए न सिर्फ खड़े हैं, लाखों-करोड़ों को साथ लिए हुए हैं, उनकी रहनुमाई कर रहे हैं, इंसानियत को ताकत दे रहे हैं। 
 
 
संस्था निनाद और अदबी कुनबा 11 और 12 अप्रैल को इंदौर रिलिजन कान्क्लेव करा रहा है, जहां सभी मजहब के जानकार, आलिम और विद्वान साथ होंगे। इसे धर्मों का मिलन भी कह सकते हैं। दो दिन के इस कान्क्लेव में अलग-अलग विषय पर व्याख्यान होंगे, बात होगी और सवाल-जवाब का सत्र भी रहेगा। जो सवाल धर्म के लिए चुनौती बने हुए हैं, उन पर भी चर्चा होगी।
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दो दिन के इस कान्क्लेव में अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य लोकेश मुनिजी, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी, अमृतसर साहिब से संत सबरतसिंहजी, आध्यात्मिक गुरु श्री भय्यूजी महाराज, असम के महामंडलेश्वर स्वामी केशवदासजी, महाराष्ट्र से इस्लामी विद्वान मौलाना गुलाम वस्तानवी, लोकमत के पत्रकार डॉ. उदय निरगुणकर, मौलाना अबुल कलाम आजाद यूनिवर्सिटी जोधपुर के प्रेसीडेंट पद्मश्री प्रोफेसर अख्तरुल वासे, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से शिया स्कॉलर  डॉ. सैयद अली मोहम्मद नकवी, ईसाई धर्मगुरु मारन मारक बासेलियम, मुंबई से बोहरा समाज के शहजादा डॉ. अब्देली सैफुद्दीन, पीठाधीश्वर इंटरनेशनल सदगुरु फाउंडेशन तपोभूमि गोवा से धर्मभूषण ब्रह्मेशानंदाचार्य स्वामीजी, भोपाल से फादर जोस प्रकाश, मुरादाबाद से इस्लामिक स्कॉलर डॉ. सय्यद अब्दुल्लाह तारिक, जयपुर से ज्योतिष महामंडलेश्वर दाती महाराज मदन राजस्थानी, गुजरात हज कमेटी के अध्यक्ष सूफी संत एमके चिश्ती, फिल्मी कलाकार मकरंद देशपांडे, माउंट आबू से ब्रह्माकुमारी उर्मिला, औरंगाबाद से इस्लामी विद्वान तैयबा मोइन फातिमा, मैनेजमेंट गुरु एन. रघुरामन, वृंदावन से साध्वी प्रज्ञा भारतीजी, महर्षि महेश योगी यूनिवर्सिटी भोपाल से प्रो. निलिम्प त्रिपाठी, अजमेर दरगाह के खादिम सूफी सैयद सलमान चिश्ती, इस्कान से निमाई सुंदरदास, मौलाना अबुल कलाम आजाद कॉलेज औरंगाबाद के प्रोफेसर वाजिद अली, गया बिहार से भिक्खु प्रिया दीपजी, कवि सत्यनारायण सत्तन, मुम्बई की सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी, बहाई समाज से समाजसेवी समीर शर्मा सहित कई और विद्वान आ रहे है।
 
कान्क्लेव में धर्म क्या है, उनकी शिक्षा क्या है, वो क्या सीख देते हैं और इंसानियत को जिंदा रखने में उनकी क्या भूमिका है, अंधविशास और आतंकवाद, हिंसा जैसे विषय पर बात होगी। दो दिन का ये कान्क्लेव बायपास स्थित अम्बर कन्वेंशन सेंटर (सयाजी) में सुबह 11 बजे शुरू होगा और रात 9 बजे चलेगा। दूसरे दिन भी यही सिलसिला रहेगा। अलग-अलग विषय पर व्याख्यान होंगे, बातचीत होगी और कुछ इंटरव्यू भी किए जाएंगे। सवाल-जवाब के सेशन होंगे। इनके अलावा सूफी शाम भी रखी गई है। 11 अप्रैल की रात 9 बजे मशहूर कव्वाल असलम साबरी अपना कलाम पेश करेंगे।

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