|
48 विस्तार, 399 सुनवाई |
आठ करोड़ रुपए का खर्च |
प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को सुबह सौंपी गई चार खंडों की इस रिपोर्ट को गुरुवार से शुरू हो रहे संसद के बजट सत्र में पेश किया जा सकता है। रिपोर्ट सौंपने के समय गृह मंत्री पी. चिदंबरम भी उपस्थित थे।
छह दिसंबर 1992 को मस्जिद गिराए जाने के दस दिन बाद आयोग के अध्यक्ष नियुक्त किए गए न्यायाधीश लिब्रहान ने रिपोर्ट के बारे में विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया।
रिपोर्ट पर कुल आठ करोड़ रुपए खर्च आया है। भाजपा नेता रिपोर्ट सौंपने के समय को लेकर राजनीतिक षड्यंत्र की आशंका जता रहे हैं।
चार वर्ष पूर्व आयोग की सुनवाई समाप्त हो गई थी और आयोग के वकील अनुपम गुप्ता ने न्यायाधीश लिब्रहान के साथ व्यक्तिगत मतभेदों को लेकर इससे स्वयं को अलग कर लिया था।
आडवाणी, जोशी, भारती और विध्वंस के समय उत्तरप्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री कल्याणसिंह आयोग के समक्ष गवाही के लिए उपस्थित हुए। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गवाही देने से प्रतिबंध हटाने के बाद ही कल्याणसिंह आयोग के समक्ष उपस्थित हुए।
अयोध्या में विवादास्पद ढाँचे के संबंध में जिन लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित हैं, उनमे विहिप नेता अशोक सिंघल और बजरंग दल के विनय कटियार भी हैं। आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक होने से पहले ही कांग्रेस और भाजपा नेताओं का मुद्दे को लेकर तकरार शुरू हो गई है।
भाजपा-कांग्रेस में तकरार तेज : वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजयसिंह ने कहा कि यह सबको मालूम है कि आडवाणी, जोशी, भारती और कटियार जैसे महत्वपूर्ण नेता विध्वंस के समय घटनास्थल पर मौजूद थे और ध्वंस करने वाले दस्ते को उकसाने के लिए 'एक धक्का और दो' जैसे नारे लगाए गए थे।
भाजपा प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दिग्विजयसिंह के बयान से मुद्दे पर कांग्रेस के षड्यंत्र का पता चलता है। भारतीय जनशक्ति की प्रमुख और पूर्व भाजपा नेता उमा भारती ने कहा कि अटलबिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहते ही आयोग की जाँच पूरी हो गई थी, लेकिन रिपोर्ट को अभी सौंपने का मतलब है कि राहुल गाँधी को प्रधानमंत्री बनाने के एजेंडे के तहत मुस्लिम वोट को आकर्षित करने के लिए यह कांग्रेस की योजना के अनुरूप तैयार की गई है।
आरएसएस के प्रवक्ता राम माधव ने कहा कि छह दिसंबर को जो कुछ हुआ, वह पूर्ववर्ती सरकारों की असफलता का सामूहिक परिणाम है और विध्वंस के लिए नेताओं को जिम्मेदार ठहराने का यह राजनीतिक षड्यंत्र होगा।