कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले गुलाम नबी आजाद क्या जम्मू कश्मीर में बनेंगे किंगमेकर?
जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले गुलाम नबी आजाद बनाएंगे नई पार्टी
आखिरकार गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह ही दिया। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने हाथ का साथ ऐसे समय छोड़ा है जब जम्मू कश्मीर में धारा-370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे है। कांग्रेस से इस्तीफे देने के बाद बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि वह जम्मू-कश्मीर आ रहे हैं और नई पार्टी बनाएंगे। यानी इसका मतलब साफ है कि वह प्रदेश की सियासत में सक्रिय भूमिका निभाएंगे और हाल-फिलहाल राजनीति से संन्यास का उनका कोई इरादा नहीं है।
दरअसल गुलाम नबी आजाद को कांग्रेस ने पिछले दिनों जम्मू कश्मीर में पार्टी की प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया, लेकिन आजाद ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। गुलाम नबी आजाद जम्मू कश्मीर की सियासयत में क्या भूमिका निभाएंगे और ऐसे समय जब भाजपा जम्मू कश्मीर में अपना पूरा जोर लगा रही है तब गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे का कितना फायदा भाजपा को होगा यह भी समझना होगा।
श्रीनगर में रहने वाले बीबीसी के पूर्व संवाददाता और जम्मू कश्मीर की सियासत को करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अल्ताफ हुसैन वेबदुनिया से बातचीत में कहते हैं, गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफे का जम्मू कश्मीर की राजनीति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसका कारण बताते हुए वह कहते हैं कि गुलाम नबी आजाद कश्मीर के ग्रास रूट के नेता नहीं रहे है। वह भले ही जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे है लेकिन उनका कोई व्यक्तिगत बड़ा जनाधार जम्मू कश्मीर और खासकर कश्मीरी घाटी में नहीं रहा है।
पांच दशक तक कांग्रेस के प्रमुख चेहरा रहने वाले गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफे के साथ राहुल गांधी पर कई गंभीर आरोप लगाए है। पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे त्याग पत्र में गुलाम नबी आजाद ने पार्टी में राहुल गांधी और खुद सोनिया गांधी की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल खड़े किए है। उन्होंने साफ कहा कि राहुल गांधी के आने से कांग्रेस बर्बाद हुई, सनकी लोग पार्टी चला रहे हैं। एआईसीसी को संचालित कर रहे कुछ लोगों द्वारा नियंत्रित कांग्रेस ने इच्छाशक्ति और क्षमता खो दी है।
वरिष्ठ पत्रकार अल्ताफ हुसैन कहते हैं कि अगर गुलाम नबी आजाद के राजनीतिक करियर को देखे तो वह मुख्यमंत्री, मंत्री से लेकर राज्यसभा सांसद तक गांधी परिवार के आशीर्वाद से बने औऱ खुद गुलाम नबी आजाद ने आज कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए सोनिया गांधी को लिखे अपने पत्र में इस बात का उल्लेख भी किया है। संजय गांधी ने उनको राजनीति में लाए थे और कांग्रेस के यूथ विंग से लेकर पार्टी महासचिव के तौर पर उन्होंने काम किया है।
गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस से इस्तीफे के साथ उनकी भाजपा से नजदीकियों की खबरें पर खूब चर्चा में है। पिछले दिनों राज्यसभा का कार्यकाल पूरा होने के बाद राज्यसभा में उनकी विदाई पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजाद की खुलकर तारीफ की थी। इसके साथ इस साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के बड़े नागरिक सम्मानों में से एक पद्म भूषण के लिए उनका नाम घोषित हुआ। ऐसे में अब जम्मू कश्मीर में चुनाव से पहले कांग्रेस से इस्तीफा के बाद उनकी बीजेपी से नजदीकियों की अटकलों को बल मिला।
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में गुलाम नबी आजाद के अलग से पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने या भाजपा में शामिल होने वाले प्रभाव पर अल्ताफ हुसैन कहते हैं कि आजाद की चिट्ठी से अभी लग नहीं रहा है कि वह भाजपा में हाल फिलहाज जा रहे है। अल्ताफ हुसैन कहते हैं कि अगर गुलाम नबी आजाद भाजपा में शामिल हो जाएंगे तो उम्र भर जो उन्होंने कमाया है वह भी खत्म हो जाएगी।