नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को कहा कि नई शिक्षा नीति के लिए कस्तूरीरंगन समिति द्वारा पेश प्रस्तावित मसौदे पर विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 2 लाख सुझाव मिले हैं। उन्होंने कहा कि इन पर व्यापक विचार-विमर्श के बाद नीति का मसौदा प्रारूप जारी किया जाएगा।
निशंक ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान प्रस्तावित शिक्षा नीति से जुड़े एक सवाल के जवाब में बताया कि नई शिक्षा नीति का जो मसौदा तैयार हो रहा है, मैं समझता हूं कि यह दुनिया के अब तक के सबसे बड़े परामर्श का हिस्सा है। इसमें अध्यापक से लेकर छात्र, नौकरशाह से लेकर विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ और जनप्रतिनिधि सभी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि कस्तूरीरंगन समिति की रिपोर्ट को विचार-विमर्श के लिए सार्वजनिक किया गया है और इस पर 2 लाख से भी अधिक सुझाव मिले हैं। सभी सुझावों का विस्तृत विश्लेषण किया जा रहा है, साथ ही सभी राज्यों से अलग-अलग शिक्षामंत्रियों और विशेषज्ञों से भी इस पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
नई शिक्षा के तहत मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा दिए जाने के प्रावधान से जुड़े एक पूरक प्रश्न के जवाब में निशंक ने कहा कि 1968 और 1986 की शिक्षा नीति की तरह ही इस नीति में भी इस बात को अपनाया जाएगा कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही होना चाहिए और यह तरीका ही कारगर और सफल समझा जाता है।
इससे पहले प्रश्नकाल शुरू होने पर कांग्रेस और वामदलों के सदस्यों ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का विनिवेश तथा चुनावी बॉण्ड लागू करने के मामले में आरबीआई की आपत्ति के मुद्दे को उठाने की कोशिश करते हुए इन पर चर्चा की मांग की, हालांकि सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इसकी अनुमति नहीं दी।