Anand Mohan : फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर SC ने बिहार और केंद्र सरकार से मांगा जवाब

Webdunia
सोमवार, 8 मई 2023 (16:53 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की 1994 में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को समय से पहले रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को केंद्र एवं बिहार सरकार से जवाब मांगा।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, बिहार सरकार और आनंद मोहन को नोटिस जारी किया। याचिका पर सुनवाई शुरू होते ही दिवंगत अधिकारी की पत्नी उमा कृष्णैया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण मामला है। पीठ ने कहा कि वह याचिका पर नोटिस जारी कर रही है।

शीर्ष अदालत ने एक मई को याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई थी और इसे आठ मई के लिए सूचीबद्ध किया था। बिहार कारागार नियमावली में संशोधन के बाद आनंद मोहन को 27 अप्रैल को सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था।

जी. कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने अपनी याचिका में दलील दी है कि गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन को सुनाई गई उम्रकैद की सजा उनके पूरे जीवनकाल के लिए है और इसकी व्याख्या महज 14 वर्ष की कैद की सजा के रूप में नहीं की जा सकती।

उन्होंने उच्चतम न्यायालय में दायर अपनी याचिका में कहा है, जब मृत्युदंड की जगह उम्रकैद की सजा सुनाई जाती है, तब उसका सख्ती से पालन करना होता है, जैसा कि न्यायालय का निर्देश है और इसमें कटौती नहीं की जा सकती।

आनंद मोहन का नाम उन 20 से अधिक कैदियों में शामिल है, जिन्हें जेल से रिहा करने के लिए राज्य के कानून विभाग ने हाल में एक अधिसूचना जारी की थी, क्योंकि वे जेल में 14 वर्षों से अधिक समय बिता चुके हैं।

बिहार कारागार नियमावली में राज्य की महागठबंधन सरकार द्वारा 10 अप्रैल को संशोधन किए जाने के बाद आनंद मोहन की सजा घटा दी गई। नियमावली में संशोधन के जरिए ड्यूटी पर तैनात लोकसेवक की हत्या में संलिप्त दोषियों की समय पूर्व रिहाई पर पाबंदी हटा दी गई थी।

राज्य सरकार के इस फैसले के आलोचकों का दावा है, ऐसा मोहन की रिहाई को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया, जो जाति से राजपूत हैं और इससे नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन को भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ उसकी लड़ाई में मदद मिल सकती है। नेताओं सहित कई अन्य लोगों को राज्य के जेल नियमावली में संशोधन से लाभ हुआ है।

उल्लेखनीय है कि तेलंगाना के रहने वाले जी. कृष्णैया की 1994 में उग्र भीड़ ने उस समय पीट-पीटकर हत्या कर दी थी, जब उनके वाहन ने मुजफ्फरपुर जिले में गैंगस्टर छोटन शुक्ला की शवयात्रा से आगे निकलने की कोशिश की थी। तब आनंद मोहन विधायक थे और शवयात्रा में शामिल थे।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)

सम्बंधित जानकारी

Show comments

जरूर पढ़ें

उद्धव ठाकरे, अजित पवार के बाद CM शिंदे के बैग की तलाशी, जानिए नेताओं के पास क्या-क्या मिला

क्या महाराष्ट्र में चुनाव के बाद बदलेंगे राजनीतिक समीकरण, फिर चाचा शरद के साथ आ सकते हैं अजित पवार

न UPPSC झुकने को तैयार है और न ही प्रतियोगी छात्र, कैसे बनेगी बात?

कवि प्रदीप की पंक्तियों का सुप्रीम कोर्ट में उल्लेख, एक घर का सपना कभी ना छूटे

महाराष्ट्र चुनाव में स्व. इंदिरा गांधी की भी एंट्री, जानिए क्या कहा अमित शाह ने

सभी देखें

नवीनतम

दिल्ली: स्कूल बस में छात्रा से यौन दुर्व्यवहार, प्राथमिकी दर्ज

Weather Updates: पहाड़ी इलाकों में हुई बर्फबारी, अब पड़ेगी कड़ाके की ठंड, IMD ने किया अलर्ट

राजस्थान के टोंक में दूसरे दिन भी तनाव, पुलिस को नरेश मीणा की तलाश

LIVE: महाराष्ट्र में पीएम मोदी, राहुल गांधी की सभाएं, झारखंड में गरजेंगे अमित शाह

साइबर जालसाजों को बैंक खाता उपलब्ध कराने वाले गिरोह का भंडाफोड़, 4 गिरफ्तार

अगला लेख
More