Anand Mohan released from jail : बाहुबली आनंद मोहन गुरुवार सुबह बिहार की सहरसा जेल से रिहा हो गए। पहले कहा जा रहा था कि उन्हें दोपहर में रिहा किया जाएगा। आनंद मोहन की रिहाई जेल सजा क्षमादान आदेश के तहत हुई है। हाल में बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया था, जिससे मोहन समेत 27 अभियुक्तों की समयपूर्व रिहाई का मार्ग प्रशस्त हुआ।
वहीं, दिवंगत आईएएस की पत्नी उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर निराशा जाहिर की है। आनंद मोहन की रिहाई के फैसले खिलाफ पटना हाईकोर्ट में PIL दाखिल की गई है। इसमें जेल मैनुअल में हुए बदलावों को निरस्त करने की मांग की गई है। हालांकि राजद ने कहा है कि जो हो रहा है नियमों के तहत हो रहा है।
गोपालगंज के डीएम कष्णैया की हत्या के मामले में आनंद मोहन को 2007 में फांसी की सजा हुई थी। बाद में इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया।
बाहुबली आनंद मोहन सिंह से दोस्ती का फर्ज निभाते हुए पिछले दिनों सुशासन बाबू की छवि वाले नीतीश कुमार ने अपनी ही सरकार के 12 साल पहले के नियम में अचानक बदलाव कर देते हैं और आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो जाता है। नीतीश सरकार ने बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481(1) क में संशोधन कर 'काम पर तैनात सरकारी सेवक की हत्या' इस वाक्यांश को ही नियम से हटा दिया। जिसका सीधा फायदा कलेक्टर की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहे आनंद मोहन सिंह को मिला और उनकी जेल से रिहाई का रास्ता साफ हो गया।
सुशासन बाबू की छवि रखने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने इस फैसले से अचानक से विवादों के घेरे में आ गए है। बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने पूर्व सांसद आनंद मोहन के बहाने अन्य 26 ऐसे दुर्दांत अपराधियों को भी रिहा करने का फैसला किया, जो एम-वाई समीकरण में फिट बैठते हैं और जिनके बाहुबल का दुरुपयोग चुनावों में किया जा सकता है। गंभीर मामलों में दोषसिद्ध अपराधियों की रिहाई का फैसला असंवैधानिक और अनाश्यक है।
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि वो बेचारे तो बलि के बकरा हैं। वो तो इतनी सजा भोगे हैं आनंद मोहन की रिहाई को लेकर किसी को कोई आपत्ति नहीं लेकिन आनंद मोहन के आड़ में जो काम किया है इस सरकार ने, उसे समाज कभी माफ नहीं करेगा।