अयोध्या। रामचरित मानस पर विवादित टिप्पणी एवं प्रतिबंध की मांग करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता एवं पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को अयोध्या के संत-महंतों ने आड़े हाथों लिया है। संतों ने विवाद पैदा करने वाले नेताओं की समझ पर सवाल उठाते हुए कहा कि रामचरित मानस पवित्र ग्रंथ है, लेकिन कुछ 'मूर्ख' इस पर नेतागिरी कर रहे हैं।
तपस्वी छावनी, अयोध्या के महंत स्वामी परमहंस ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने श्रीरामचरित मानस पर जो टिप्पणी की है, मैं उन्हें बता दूं कि वे अपनी मां को मां कहते हैं और पिता को पिता कहते हैं और भाई को भाई और बेटी को बेटी कहते हैं, यह संबंधों की मर्यादा रामचरित मानस से ही मिली है। अगर ऐसा न होता तो वे जानवर बने होते। उनको अपने संबंधों में कोई भेद मालूम नहीं होता। रामचरित मानस से ही मानवता की स्थापना हुई है।
स्वामी परमहंस ने कहा कि मौर्य मानस की एक चौपाई भी सही नहीं बोल सकते हैं, अर्थ तो बहुत दूर की की बात है। इस तरह कि बयानबाजी से लोग बचें। इस तरह के लोग राजनीति करें तो ही अच्छा है, अगर जहर उगलेंगे तो उसका परिणाम भी भोगने के लिए तैयार रहें।
श्री रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सतेन्द्र दास ने भी मौर्य के बयान का विरोध करते हुए कहा कि जिस रामचरित मानस को पढ़कर लोग ज्ञान प्राप्त करते हैं, जिससे भक्ति प्राप्त करते हैं, जिस मानस को पढ़ने से भगवान श्रीराम के चरित्र का ज्ञान होता है, ऐसे ग्रंथ पर ये मूर्ख नेतागिरी कर रहे हैं। यह एक पवित्र धर्मग्रंथ है। यदि इसके बारे में किसी को सही जानकारी नहीं है तो इस प्रकार से नहीं बोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक-दो दोहा-चौपाई पढ़कर यह कहना कि ये दलितों का विरोध है, सही नहीं है। इसमें ऐसा कुछ नहीं है। भगवान राम ने तो कोल, भील, वानर-भालू सबको गले लगाया था।
उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म में इस तरह से बोलने पर कोई गला काटने वाला नहीं मिलेगा। अन्य किसी धर्म के बारे में बोलेंगे तो तुरंत फतवा जारी हो जाएगा। उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को सलाह दी कि मौर्य पार्टी से निकालो नहीं तो आपको इसका नुकसान उठाना पड़ेगा।
दिगंबर अखाड़ा अयोध्या के महंत सुरेश दास ने कहा कि रामयण से बढ़िया कोई ग्रंथ है। मौर्य रामायण के बारे में जानते ही नहीं हैं, यदि पढ़े होते तो इस प्रकार का बयान नहीं देते।
विश्व हिन्दू परिषद के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि हिन्दू धर्मग्रंथ श्रीरामचरित मानस पर पूर्व मंत्री एवं सपा नेता मौर्य जैसे ऐरे-गैरे प्रतिबंध लगाने की बेतुकी बातें कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुर्सी ना मिलने के कारण मौर्य पर पागलपन का दौरा पड़ रहा है। मानसिक विक्षिप्त एवं श्रीराम विरोधी को गिरफ्तार कर रांची या आगरा भेजा जाना चाहिए। शर्मा ने कहा कि रामचरित मानस मात्र एक पुस्तक नहीं है, यह मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ बनाने का अमृत कुंभ है। अयोध्या को रक्तरंजित करने वालों के हमसफर मौर्य ने श्रीराम भक्तों का अपमान किया है।
क्या कहा था स्वामी प्रसाद मौर्य ने : यूपी के पूर्व मंत्री एवं सपा नेता मौर्य ने रामचरित मानस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि सब बकवास है। तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए यह ग्रंथ लिखा है। सरकार को चाहिए कि इसका संज्ञान लेते हुए रामचरित मानस से जो आपत्तिजनक अंश हैं, उसको बाहर करना चाहिए या फिर इस पूरी पुस्तक को ही प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
मौर्य ने कहा कि धर्म के नाम पर समाज के विशेष वर्ग को अपमानित करने का काम किया गया है। हम उसपर आपत्ति करते हैं। मानस की एक चौपाई है, जिसमें वे शूद्रों को अधम जाति का होने का सर्टिफिकेट दे रहे हैं। इसके मुताबिक ब्राह्मण भले ही अनपढ़ और गंवार हो, उसे पूजनीय बताया गया है, वहीं शूद्र कितना भी ज्ञानी व विद्वान हो उसका सम्मान नहीं करने की बात कही गई है।