जम्मू। एलओसी (LoC) पर युद्ध की घोषणा के बिना मिसाइलों का इस्तेमाल दरअसल पाक सेना की उन फारवर्ड पोस्टों को नेस्तनाबूद करने के लिए किया जा रहा है जो पिछले एक अरसे से आतंकियों को इस ओर धकेलने के लिए लांचिंग पैडों में बदल दी गई हैं। स्पष्ट शब्दों में कहें तो पाकिस्तान से सटी 1098 किमी लंबी सीमा पर, खासकर एलओसी पर भारतीय सेना के निशाने पर और कुछ नहीं बल्कि पाक सेना की वे अग्रिम चौकियों हैं जो आतंकियों के लिए एडवांस ट्रेनिंग कैंपों के साथ-साथ उनके लिए 'लांचिंग पैडों' का कार्य कर रही हैं।
रक्षाधिकारियों के मुताबिक, एलओसी पर पाक गोलाबारी का जवाब देने की खातिर अब तोपखानों के साथ ही टैंकरोधी मिसाइलों का भी खुलकर इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसा पाकिस्तान तथा पाक कब्जे वाले कश्मीर पर भीतर तक तथा सटीक मार करने के लिए है और चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इन तोपखानों के निशाने पाक सेना की वे अग्रिम सीमा चौकियां हैं जहां से एडवांस ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद आतंकियों को छोटे-छोटे दलों में इस ओर धकेला जाता है।
हाल ही में गिरफ्तार तथा मारे गए आतंकियों के कब्जे से बरामद दस्तावेजों से हुए रहस्योद्घाटनों के बाद ऐसी चौकियों पर हमले तेज भी हुए हैं। विशेषकर एलओसी से सटी हुई अग्रिम चौकियों पर जहां से आतंकियों को इस ओर धकेला जा रहा है। इन रहस्योद्घाटनों में यह भी कहा गया है कि इन अग्रिम सीमा चौकियों पर आतंकी एडवांस ट्रेनिंग प्राप्त करते हैं और फिर उन्हें गाइड की मदद से इस ओर भिजवाया जाता है।
सूत्र बताते हैं कि इन लांचिंग पैडों के भीतर भी आतंकियों को भारतीय सेना पर गोलीबारी तथा गोलाबारी करना सिखाया जाता है और अगर वे आतंकियों को भारतीय क्षेत्रों में धकेलने में नाकामयाब रहते हैं तो ये लांचिंग पैड उनके लिए बढ़िया शरणस्थल के बतौर भी कार्य करते हैं।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, अग्रिम सीमा चौकियों का इस्तेमाल एडवांस ट्रेनिंग कैंपों तथा लांचिंग पैडों के रूप में किया जा रहा है इस प्रकार की खबरें एक लंबे अरसे से आ रही थीं और इन खबरों के पश्चात ही पहली बार भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक भी की थी।
रक्षा सूत्रों के अनुसार, ऐसे लांचिंग पैडों को नेस्तनाबूद करना आवश्यक हो गया था क्योंकि अगर यह सीमा चौकियां और बंकर आतंकियों को सहारा देती रहती हैं तो भारतीय सेना के लिए कठिनाई यह पैदा हो जाती है कि वे आतंकवाद पर कैसे काबू पाएं। हालांकि इन लांचिंग पैड रूपी सीमा चौकियों को तबाह करने की कार्रवाई को कुछ आतंकी प्रशिक्षण शिविरों पर भारतीय हमले के रूप में भी लेते हैं जिससे सेना को कोई ऐतराज नहीं है। वह कहती है कि आप चाहें इसे कोई भी नाम दे सकते हैं लेकिन इतना अवश्य है कि ऐसे लांचिंग पैडों को तबाह करना आतंकवाद के नाश के लिए आवश्यक हो गया है।
सूत्रों के अनुसार, जिन अग्रिम सीमा चौकियों को ढहाया गया है उसे चाहे तो कोई नाम दिया जा सकता है लेकिन सच्चाई यही है कि इन सीमा चौकियों और बंकरों का इस्तेमाल पाक सेना द्वारा आतंकियों को इस ओर धकेलने के लिए लांचिंग पैड के रूप में किया जाता था। सूत्रों के अनुसार, पाक कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकियों के ट्रेनिंग कैंपों में आतंकियों को प्रशिक्षण देने के उपरांत उन्हें भारतीय क्षेत्रों में धकेलने से पहले कुछ समय तक जिन सीमा चौकियों और बंकरों में रखा जाता है उन्हें लांचिंग पैड कहा जाता है।
सेनाधिकारियों के अनुसार, देखा जाए तो आज पाक सेना ने प्रत्येक अग्रिम सीमा चौकी तथा अग्रिम बंकरों को बतौर लांचिंग पैड इस्तेमाल करना आरंभ कर दिया है। ऐसा करने के पीछे कारण यह है कि पाक सेना एलओसी तथा इंटरनेशनल बार्डर के प्रत्येक भाग का इस्तेमाल आतंकियों को इस ओर धकेलने के लिए करना चाहती है, ताकि बाद में आतंकी उन क्षेत्रों में तबाही मचा सकें, जहां से वे घुसने में कामयाब रहते हैं।