नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के लिए आज राजनीतिक इच्छाशक्ति की कोई कमी नहीं है और अधिकारियों को बगैर हिचकिचाहट के भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, भले ही वे कितने भी ताकतवर हों। मोदी सीबीआई के हीरक जयंती समारोह में बोल रहे थे।
उन्होंने भ्रष्टाचार को लोकतंत्र और न्याय की राह में सबसे बड़ा रोड़ा करार देते हुए यह भी कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्रमुख जिम्मेदारी भारत को इससे मुक्त कराना है। सीबीआई के हीरक जयंती समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले छह दशकों में यह एजेंसी 'सत्य और न्याय' के मानक के रूप में विकसित हुई है। उन्होंने जोर देकर कहा कि देश और इसके नागरिकों की इच्छा है कि किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों को दशकों तक भ्रष्टाचार से लाभ हुआ, उन्होंने एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया है, जो जांच एजेंसियों पर हमला करता है, लेकिन एजेंसियों को भ्रष्टों की शक्ति और उन्हें कलंकित करने के लिए उनके बारे में फैलाई गई कहानियों से विचलित नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ये लोग आपका ध्यान भटकाते रहेंगे, लेकिन आपको अपने काम पर ध्यान देना होगा। किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए। हमारे प्रयासों में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। यह देश की इच्छा है, यह देश के लोगों की इच्छा है। देश, कानून और संविधान आपके साथ है।
मोदी ने कहा कि आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति में कोई कमी नहीं है। आपको (सीबीआई) कहीं भी हिचकने, कहीं रुकने की जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे भारत की आर्थिक शक्ति बढ़ रही है, अड़चनें पैदा करने वाले भी बढ़ रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देश के सामाजिक ताने-बाने, एकता और भाईचारे के साथ ही उसके आर्थिक हितों व संस्थानों पर भी नित्य प्रहार बढ़ते चले जा रहे है और इसमें जाहिर तौर पर भ्रष्टाचार का पैसा लगता है। इसलिए हमें अपराध और भ्रष्टाचार की प्रकृति को समझना होगा और इसके कारणों का पता लगाने के लिए जड़ तक पहुंचना होगा।
मोदी ने कहा कि भारत को आजादी के समय भ्रष्टाचार की विरासत मिली। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि इसे दूर करने के बजाय कुछ लोग इस बीमारी को पोषित करते रहे। 'ट्रिलियन डॉलर' पर चर्चा इन दिनों मजबूत अर्थव्यवस्था को संदर्भित करती है, लेकिन एक दशक पहले जब सीबीआई ने अपनी स्वर्ण जयंती मनाई थी, तो ऐसे आंकड़ों का उपयोग देश में घोटालों का वर्णन करने के लिए किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक प्रतियोगिता चल रही थी कि कौन भ्रष्टाचार का नया रिकॉर्ड स्थापित करेगा। घोटालों और दंडमुक्ति की मौजूदा भावना के कारण व्यवस्था ध्वस्त हो गई और नीतिगत पंगुता के माहौल ने विकास को एक ठहराव में ला दिया था।
उन्होंने कहा कि इंटरनेट बैंकिंग और यूपीआई, पहले की 'फोन बैंकिंग' की समस्या के बिलकुल विपरीत है, जहां प्रभावशाली लोगों के फोन कॉल के आधार पर हजारों करोड़ रुपए के ऋण मंजूर किए जाते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि लाभार्थी जनता का पैसा लेकर भाग गए। भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम की वजह से अब तक भगोड़े अपराधियों की 20,000 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है।
उन्होंने सीबीआई से कहा कि वह भ्रष्टाचारियों के खिलाफ अपनी जांच में तेजी लाने के तरीके अपनाए, क्योंकि लंबित जांच भ्रष्टाचारियों को सुरक्षा प्रदान करती है, जबकि निर्दोष पीड़ित रहते हैं। भ्रष्टाचार कोई सामान्य अपराध नहीं होता। भ्रष्टाचार, गरीब से उसका हक छीनता है, अनेक अपराधों को जन्म देता है। भ्रष्टाचार, लोकतंत्र और न्याय के रास्ते में सबसे बड़ा रोड़ा होता है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने मिशन मोड पर काले धन और बेनामी संपत्ति के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचारियों के अलावा हम भ्रष्टाचार के कारणों से भी लड़ रहे हैं। मोदी ने कहा कि पेशेवर और कुशल संस्थानों के बिना विकसित भारत का निर्माण संभव नहीं है और इसलिए सीबीआई की बड़ी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने अपने काम से, अपने कौशल से सामान्यजन को एक भरोसा दिया है। आज भी जब किसी को लगता है कि किसी मामले की गुत्थी सुलझ नहीं रही है, तो आवाज उठती है कि मामला सीबीआई को दे देना चाहिए। जहां भी भ्रष्टाचार होता है, युवाओं को समान अवसर नहीं मिलते हैं और केवल एक विशेष पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलता है।
भ्रष्टाचार को प्रतिभा का सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए मोदी ने कहा कि यह भाई-भतीजावाद और परिवारवाद को प्रोत्साहित करता है। जब ये दोनों बढ़ते हैं तो देश की ताकत प्रभावित होती है और जब ताकत कमजोर होती है तो इसका असर विकास पर भी पड़ता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचारियों ने देश का खजाना लूटने का एक और तरीका बना रखा था, जो दशकों से चला आ रहा था और ये था, सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से लूट। आज जनधन, आधार, मोबाइल की तिकड़ी से हर लाभार्थी को उसका पूरा हक मिल रहा है।
कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक और सीबीआई के सर्वश्रेष्ठ जांच अधिकारियों के लिए स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों के लिए एक अलंकरण समारोह आयोजित किया गया। प्रधानमंत्री ने पुरस्कार विजेताओं को पदक प्रदान किए। उन्होंने शिलांग, पुणे और नागपुर स्थित सीबीआई के नवनिर्मित कार्यालय परिसरों का उद्घाटन भी किया।
सीबीआई के हीरक जयंती समारोह वर्ष पर प्रधानमंत्री ने एक डाक टिकट और विशेष सिक्का भी जारी किया तथा सीबीआई के ट्विटर हैंडल की भी शुरुआत की। इससे पहले इस अवसर पर सीबीआई निदेशक सुबोध कुमार जायसवाल ने कहा कि ब्यूरो भ्रष्टाचार का मुकाबला करने वाली एजेंसी से एक बहु-विषयक जांच और अंतरराष्ट्रीय ख्याति के अभियोजन संगठन के रूप में विकसित हुआ है।
उन्होंने कहा कि ब्यूरो ने मूल्यवान सिफारिशें करके देश में वित्तीय प्रणालियों को साफ करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो जांच और संचालन के दौरान इसकी दंडात्मक और निवारक भूमिका से उभरा। इस अवसर पर कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल भी उपस्थित थे। सीबीआई की स्थापना भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से 1 अप्रैल, 1963 को जारी एक संकल्प के जरिए की गई थी।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta