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मकर संक्रांति पर संगम में 60 लाख श्रद्धालुओं ने लगाई 'आस्था की डुबकी'

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, रविवार, 14 जनवरी 2018 (21:02 IST)
इलाहाबाद। तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना एवं अदृश्य सरस्वती के संगम तट पर कड़ाके की ठंड के बीच 60 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। मेले में कल्पवास करने और संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संगम की रेती पर बसाया गए तंबुओं के अस्थाई शहर इन दिनों खासी गहमागहमी है।

माघ मेले के दूसरे प्रमुख स्नान मकर संक्रांति के पहले दिन कड़ाके की ठंड के बीच तड़के तीन बजे से सन्यासियों, दिव्यांगों और कल्पवासियों ने 'हर हर गंगे', ऊं नम: शिवाय, राम जय राम जय जय राम उच्चारण करते हुए संगम में डुबकी लगानी शुरू की। गौरतलब है कि मकर संक्रांति का पर्व आज और कल दो दिन है। मकर संक्रांति का पुण्यकाल आज रात आठ बजकर चार मिनट पर लग रहा है और कल 12 बजकर आठ मिनट तक रहेगा।

श्रद्धालुओं का का कहना है कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति का स्नान होता है, हम इसलिए आज स्नान कर रहे हैं। मेला नियंत्रण कक्ष के अनुसार शाम चार बजे तक 60 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया और यह सिलसिला अभी भी जारी है। संगम तट पर तड़के श्रद्धालुओं की स्नान करने की गति धीमी थी लेकिन जैसे-जैसे धूप में चटख होती गई, स्नान करने वालों की भीड़ बढ़ती ही चली गई।
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तम्बुओं की अस्थाई नगरी झूंसी और नगर की तरफ बसाई गई है। दोनों तरफ ही कल्पवासी कल्पवास कर रहे हैं और श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। मेला प्रशासन ने बताया कि माघ मेले में आने वाले साधु संतों, तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की सुविधा के लिए व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं।

सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद करने के साथ मेला क्षेत्र में बिजली,पानी, शौचालय और साफ-सफाई के इंतजाम सुनिश्चित किए गए हैं। पिछले वर्षों की भांति इस वर्ष भी श्रद्धालुओं के संगम में स्नान के लिए संगम घाट, अरैल घाट, रामघाट, दंडी बाडा, आचार्य बाड़ा घाट, दशास्वमेध घाट, काली सड़क समेत 15 स्नान घाट तैयार कराए गए हैं।

मेला सूत्रों ने बताया कि देश एवं प्रदेश के कोने-कोने से मकर संक्रांति स्नान के लिए संगम तट पर स्नान करने पहुंचे श्रद्धालुओं में आज परिजनों से बिछुड़े 300 लोगों और दो बच्चों को उनके परिजनों से मिलाया गया। मेला क्षेत्र में चाक-चौबन्द सुरक्षा व्यवस्था के तहत जवानों ने पुलिस नियंत्रण कक्ष के पास स्थापित खोया-पाया केन्द्र पर पहुंचाया। केन्द्र से लाउडस्पीकर द्वारा उद्घोष कर बिछडों को उनके परिजनों से मिलवाया गया।
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मेला क्षेत्र में पंटूनपुल नम्बर दो के पास स्थापित अस्थाई अस्पताल में ठंड लगने से अब तक करीब 75 लोगों का उपचार किया गया। माघ मेले में आने वाले वृद्ध, अशक्त एवं विकलांग श्रद्धालुओं को संगम तट के नजदीक पहुंचाने के लिए बैट्री चलित रिक्शा या अन्य संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।

मकर संक्रांति स्नान के मद्देनजर पुलिस ने शहर और मेले के लिए रास्ते में बदलाव किया गया है। बड़े वाहनों का शहर में प्रवेश कल रात से प्रतिबंधित कर दिया गया था। छोटे वाहन शहर की सीमा पर बनाए गए वाहन स्थल तक पहुंच रहे हैं।

'गंगासागर' में भी लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी : सागर द्वीप (पश्चिम बंगाल)। भारत के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालुओं के साथ ही पड़ोसी देशों नेपाल, भूटान और बांग्लादेश के श्रद्धालुओं ने भी मकर संक्रांति के मौके पर गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम स्थल पर स्नान किया।
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सागरद्वीप के नाम से मशहूर 'गंगासागर' के पवित्र जल में स्नान करने के लिए श्रद्धालु यहां तड़के से ही जुटने लगे थे। बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं को यहां जगह की कमी का भी सामना करना पड़ा। मकर संक्रांति के मौके पर यहां हर साल बड़ी संख्या में लोग गंगा और बंगाल की खाड़ी के संगम स्थल पर स्नान करने और कपिल मुनि मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं।

मकर संक्रांति के मौके पर यहां आए पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की गंगासागर मेला को कुंभ मेला की तरह देखे जाने की मांग का स्वागत किया है।
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सरस्वती ने कहा कि मैं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की गंगासागर मेले को कुंभ मेले की तरह देखे जाने की मांग का स्वागत करता हूं और उनका शुक्रिया अदा करता हूं।

ममता ने हाल ही में कहा था कि गंगासागर मेले का आयोजन सालों से हो रहा है और प्रत्येक साल यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं इसलिए इसे कुंभ मेले के बराबर दर्जा मिलना चाहिए।

दक्षिणी 24 परगना जिला मजिस्ट्रेट वाई रत्नाकर राव ने बताया कि पिछले साल करीब 15 लाख लोग गंगासागर आए थे। इस साल हमने इस आंकड़े को पार कर लिया है और करीब 20 लाख लोग यहां हैं। हमने उनके लिए सारी व्यवस्थाएं की हैं ताकि यह उनके लिए यह यादगार हो सके।

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