Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

LAC पर सेनाओं के पीछे हटने का काम पूरा, जयशंकर ने बताया क्या है भारत का अगला प्लान

हमें फॉलो करें jaishankar
नई दिल्ली , रविवार, 17 नवंबर 2024 (00:10 IST)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर समस्या के हल के लिए पिछले महीने सहमति के बाद दोनों देशों के सैनिकों की वापसी का काम पूरा हो गया है और अब तनाव कम करने पर जोर होना चाहिए। जयशंकर ने अंतिम दौर की सैन्य वापसी के बाद भारत और चीन संबंधों में कुछ सुधार की उम्मीद को ‘उचित’ बताया, लेकिन यह कहने से परहेज किया कि द्विपक्षीय संबंध पुराने स्वरूप में लौट सकते हैं।
 
उन्होंने ‘एचटी लीडरशिप समिट’ में कहा, ‘‘मैं सैनिकों के पीछे हटने को बस उनके पीछे हटने के रूप में देखता हूं, न उससे कुछ ज्यादा, न कुछ कम। यदि आप चीन के साथ वर्तमान स्थिति को देखते हैं तो हमारे सामने एक ऐसा मुद्दा रहा कि हमारे सैनिक असहज तौर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के बिल्कुल करीब थे...।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘और इसलिए 21 अक्टूबर की सहमति सैनिकों की वापसी से जुड़ी सहमति आखिरी थी। इसके क्रियान्वयन के साथ ही इस समस्या के हल की दिशा में सैनिकों के पीछे हटने का काम पूरा हो गया।’’
 
जयशंकर की टिप्पणी इस सवाल के जवाब में आई कि क्या पिछले महीने दोनों पक्षों द्वारा सैनिकों की वापसी भारत और चीन के बीच संबंधों के पुराने स्वरूप में लौटने की शुरुआत थी।
भारत और चीन ने पिछले महीने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पूर्वी लद्दाख में डेमचॉक और डेपसांग से सैनिकों की वापसी का काम पूरा किया। इससे पहले दोनों पक्ष लंबे समय से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उत्पन्न विवाद को सुलझाने के लिए एक सहमति पर पहुंचे थे। दोनों पक्षों ने करीब साढ़े चार साल के अंतराल के बाद दोनों क्षेत्रों में गश्ती गतिविधियां भी बहाल कीं।
 
अपनी टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव कम करना अगला कदम होना चाहिए।
 
उन्होंने कहा, ‘‘सैनिकों की वापसी के बाद यह अनुमान उचित होगा कि संबंधों में कुछ सुधार होगा।’’ संपूर्ण भारत-चीन संबंधों के बारे में जयंशकर ने विभिन्न कारकों की चर्चा की और कहा कि यह ‘जटिल’ संबंध है।
 
जब जयशंकर से पूछा गया कि क्या सरकार की आर्थिक एवं सुरक्षा शाखााओं का चीन पर भिन्न दृष्टिकोण है क्योंकि इस साल के आर्थिक सर्वेक्षण में जान पड़ता है कि पड़ोसी देश के साथ अधिक साझेदारी की वकालत की गयी है, उन्होंने कहा कि भिन्न -भिन्न दृष्टिकोण हो सकते हैं लेकिन संपूर्ण संबंध नीतिगत निर्णयों से तय होते हैं।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि इसे देखने का सही तरीका यह है कि हर सरकार में अलग-अलग मंत्रालयों की अलग-अलग जिम्मेदारियां होती हैं और उस जिम्मेदारी के आधार पर उनका एक दृष्टिकोण होता है।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘आपने आर्थिक सर्वेक्षण का हवाला दिया। असल में, एक राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वेक्षण (भी) होगा जिसे आप नहीं देख पाये हों, और उसमें राष्ट्रीय सुरक्षा का दृष्टिकोण होगा।’’ जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रालय सभी दृष्टिकोणों का समेकन करता है और फिर संतुलित दृष्टि अपनाता है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘यदि किसी का कोई दृष्टिकोण है, तो हम उस दृष्टिकोण पर गौर करते हैं। हम यह नहीं कहते कि आप उस दृष्टिकोण को नहीं रख सकते, लेकिन अंततः कोई दृष्टिकोण नीतिगत निर्णय नहीं होता।’’
 
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया खासकर ऐसे वक्त में भारत के राजनीतिक स्थायित्व को निहार रही है जब विश्व के अधिकतर देश राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे हैं।
 
उन्होंने इस साल हुए संसदीय चुनाव के परिणाम के बारे में कहा, ‘‘ ऐसे समय में किसी लोकतंत्र में तीसरी बार निर्वाचित होना कोई साधारण चीज नहीं है।’’ अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर जयशंकर ने कहा कि इससे अमेरिका के बारे में काफी कुछ परिलक्षित होता है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘यह अमेरिकी चुनाव हमें अमेरिका के बारे में बहुत कुछ बताता है। यह हमें बताता है कि डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के सरोकार और प्राथमिकताएं अधिक गंभीर हो गयी हैं, वे खत्म नहीं हुई हैं।’’
 
विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका अपनी पीठ दुनिया की तरफ कर लेगा। उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप नंबर एक शक्ति हैं, तो आपको दुनिया के साथ जुड़े रहना होगा, लेकिन आप दुनिया को जो शर्तें दे रहे हैं, वे पहले से अलग होंगी।’’
विदेश मंत्री ने कहा कि महत्वपूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकी संबंधी भारत-अमेरिकी पहल जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर अमेरिका की नयी सरकार में प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
 
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हम इसे एक संरचनात्मक प्रवृत्ति के रूप में देखेंगे और मेरी अपनी समझ यह है कि यदि राष्ट्रपति ट्रंप अमेरिका को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं और इसमें व्यावसायिक व्यवहार्यता का एक मजबूत तत्व लाते हैं, तो मुझे लगता है कि ऐसा अमेरिका वास्तव में ऐसे साझेदारों की तलाश करेगा जिनके साथ वह पूरक तरीके से काम कर सके।’’
 
रूस-यूक्रेन संघर्ष और उसका शांतिपूर्ण समाधान ढूंढने की भारत की कोशिश पर जयशंकर ने कहा कि समाधान युद्धक्षेत्र में नहीं खोजा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वह है सद्भावनापूर्वक बातचीत, और इस समझ के साथ कि उसमें उन विषयों पर वार्ता की जाए जिन पर सहमति हो, बशर्ते दूसरा पक्ष सहज हो, तो हम इसे दूसरे पक्ष के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं।’’
 
उन्होंने कहा, ‘‘हमने कोई शांति योजना सामने नहीं रखी है। हमें नहीं लगता कि ऐसा करना हमारा काम है। हमारा काम इन दोनों देशों को एक ऐसे मोड़ पर लाने की कोशिश करना है, जहां वे आपस में बातचीत कर सकें, क्योंकि आखिरकार, उन्हें एक-दूसरे से ही संवाद करना है।’’ भाषा

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बालासाहेब का शिवसैनिक कभी किसी की पीठ में छुरा नहीं घोंपता : उद्धव ठाकरे