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चांद पर विक्रम की लैंडिंग के दौरान खूब उड़ी थी धूल, बना था ‘इजेक्टा हेलो’

हमें फॉलो करें चांद पर विक्रम की लैंडिंग के दौरान खूब उड़ी थी धूल, बना था ‘इजेक्टा हेलो’
, शनिवार, 28 अक्टूबर 2023 (01:35 IST)
Landing of Vikram Lander on Moon: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को कहा कि जब चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर ने चंद्रमा पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की तो बहुत अधिक धूल उड़ी थी, जिससे अंतरिक्ष यान के चारों ओर एक चमकदार पैच का निर्माण हुआ, जिसे ‘इजेक्टा हेलो’ कहा जाता है।
 
इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग के जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र के अनुसार, इसरो के वैज्ञानिकों ने 23 अगस्त को चंद्रमा पर विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ से कुछ घंटे पहले और बाद में चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर ऑर्बिटर हाई रेजोल्यूशन कैमरा (ओएचआरसी) का इस्तेमाल किया।
 
नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (एनआरएससी) के वैज्ञानिकों ने शोधपत्र में कहा कि डिसेंट स्टेज थ्रस्टर्स की प्रक्रिया और इसके बाद लैंडिंग के दौरान, चंद्रमा की सतह से धूल उड़ी, जिससे ‘इजेक्टा हेलो’ बनो था। उन्होंने अनुमान लगाया कि लैंडिंग की घटना ने 108.4 वर्ग मीटर क्षेत्र में 2.09 टन चंद्र एपिरेगोलिथ यानी धूल उड़ी थी। वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 ऑर्बिटर पर ओएचआरसी से प्राप्त लैंडिंग स्थल की पूर्व और बाद की तस्वीरों की जांच की।
 
वैज्ञानिकों के अनुसार, चंद्रमा पर रॉकेट की वजह से सतह के कटाव का अध्ययन करना महत्वपूर्ण है क्योंकि धूल वाली सामग्री संभावित रूप से लैंडर, रोवर के उपकरणों को खतरे में डाल सकती है।
 
विक्रम लैंडर के चंद्रमा की सतह पर पहुंचने के दौरान, इजेक्टा विस्थापन को लैंडर के लैंडिंग इमेज कैमरा (एलआईसी) से देखा जा सकता है। ‘इजेक्टा हेलो’ घटना को लगभग सभी चंद्र लैंडिंग के मामले में देखा गया है, खासकर अपोलो लैंडिंग मिशन से, जिसमें काफी भारी लैंडर थे।
 
इजेक्टा विस्थापन का पहला साक्ष्य अपोलो 11 मिशन के दौरान मिला था जब 20 जुलाई, 1969 को ईगल लैंडर के चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान अंतरिक्ष यात्री बज एल्ड्रिन ने ‘कुछ धूल उठा रही’ टिप्पणी की थी। (भाषा)

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