नई दिल्ली। कांग्रेस ने पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग त्सो झील के पास चीन की तरफ से दूसरा पुल बनाए जाने संबंधी खबरों पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया को विरोधाभासी करार दिया। पार्टी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र की रक्षा करनी चाहिए।
पार्टी की ओर से सरकार से यह सवाल भी किया है कि क्या चीन द्वारा पैगोंग झील के निकट अवैध निर्माण किया जाना क्या भारत की भौगोलिक अखंडता पर हमला नहीं है?
पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो के पास चीन के दूसरा पुल बनाने की खबरें आने के एक दिन बाद विदेश मंत्रालय ने गुरूवार को कहा था कि खबरों के अनुसार जिस स्थान पर निर्माण कार्य किया जा रहा है, वह क्षेत्र दशकों से चीन के कब्जे में है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में भी यह कहा था कि भारत की ऐसे घटनाक्रम पर नजर है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि चीन पैंगोंग पर पहला पुल बनाता है। भारत सरकार कहती है कि हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं। चीन पैंगोंग पर दूसरा पुल बनाता है। भारत सरकार कहती है कि हम हालात पर नजर बनाए हुए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि पैंगोंग झील पर चीन द्वारा दूसरे पुल के निर्माण पर विदेश मंत्रालय का बयान विरोधाभासी है। विदेश मंत्रालय को सही जानकारी नहीं है तो रक्षा मंत्रालय आगे आकर स्थिति को स्पष्ट क्यों नहीं करता, आखिर देश को अंधेरे में क्यों रखा जा रहा है ? उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या यह सही नहीं है कि चीन पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील वाले जिस इलाके में पुल का निर्माण कर रहा है उसे भारत दशकों से चीन द्वारा अनधिकृत कब्जे वाला क्षेत्र मानता है?
पवन खेड़ा का कहना है कि ऐसे में विदेश मंत्रालय की ताजा टिप्पणी से असमंजस की स्थिति पैदा होती है। कूटनीति में भाषा की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है। जहां हमारी वीर सेना दुश्मन को मुंह तोड़ जवाब देती है, वहीं सरकार की ऐसी ढुलमुल टिप्पणी देश के हौसले का मज़ाक़ उड़ाती है।
उन्होंने कहा कि इस साल जनवरी में जब चीन द्वारा पैंगोंग झील पर पहला पुल बनाने की खबरें सामने आईं तो विदेश मंत्रालय ने कहा था कि यह उस क्षेत्र में स्थिति है जो 60 वर्षों से चीन के अवैध कब्जे में है। क्या पुल का अवैध निर्माण हमारी भौगोलिक अखंडता पर हमला नहीं है?
कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया कि क्या यह निर्माण उस संघर्ष विराम का खुला उल्लंघन नहीं है जिसके चलते भारत ने सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इलाकों से अपना कब्जा छोड़ दिया था?