भोपाल। मध्यप्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भले ही पंचायत और निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ हो चुका हो लेकिन अब ओबीसी आरक्षण के प्रतिशत को लेकर सियासी बवाल शुरु हो गया है। ओबीसी महासभा ने ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर 21 मई को मध्यप्रदेश बंद बुलाया है। ओबीसी महासभा के इस बंद को कांग्रेस ने अपना समर्थन दिया है।
ओबीसी महासभा के अध्यक्ष विजय याज्ञनिक ने कहा कि महासभा 52 फीसदी आरक्षण की मांग करता है, लेकिन 27 फीसदी से कम ओबीसी आरक्षण पर कोई समझौता नहीं होगा। ओबीसी महासभा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं होना चाहिए, ऐसे में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण नहीं मिलेगा। दरअसल बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत और निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के साथ कराने के निर्देश दिए है। कोर्ट ने अपने फैसले में कुछ आरक्षण 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होने की भी बात कही है।
कांग्रेस ने बंद का किया समर्थन-ओबीसी आरक्षण पर ओबीसी महासभा के 21 मई को बुलाए गए प्रदेशव्यापी बंद का कांग्रेस पार्टी ने समर्थन किया है। कांग्रेस का आरोप है कि कमलनाथ सरकार ने ओबीसी के लिए जो 27 फीसदी आरक्षण दिया था लेकिन इस पूरे मामले पर कोर्ट में खराब पैरवी और षडयंत्र करके भाजपा सरकार ने घटाकर ओबीसी वर्ग को सिर्फ 14% आरक्षण दिया है। पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार के समय बनाए गए नियमों से अगर चुनाव होता और भाजपा सरकार असंवैधानिक तरीके से ऑर्डिनेंस नहीं लाई होती तो अब तक ना सिर्फ मध्य प्रदेश में चुनाव हो चुके होते बल्कि अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधि अपने पूरे अधिकारों के साथ अब तक ग्राम पंचायत और नगर निकायों का संचालन कर रहे होते।
वहीं मध्य प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता जेपी धनोपिया ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस सिर्फ भ्रम फैलाने का काम कर रही है। 10 मई को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया था, उसमें स्पष्ट कहा गया था कि शिवराज सरकार ट्रिपल टेस्ट कराने में नाकाम रही है जो कि आरक्षण के आधार पर चुनाव ना हो पाने की बड़ी वजह बना। सरकार ने आनन-फानन में पिछला पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट कोर्ट में जमा की और यह झूठ बोला कि वह रिपोर्ट पिछड़ा वर्ग आयोग ने बनाई है।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में ओबीसी को जो आरक्षण दिया गया है वह 27% के हिसाब से आरक्षित किया गया है ऐसी स्थिति में उसे पुनः आरक्षित करना होगा जो 14% से आरक्षण हो सकेगा इससे साफ है कि प्रदेश की भाजपा सरकार ओबीसी वर्ग को एक बार फिर गुमराह करने का प्रयास कर रही है