नई दिल्ली। वित्तमंत्री अरुण जेटली ने निजी क्षेत्र की ऋण नहीं चुकाने वाली कंपनियों को कड़ी चेतावनी देते हुए गुरुवार को कहा कि निजी क्षेत्र ऋण चुकाए या किसी और को कारोबार सौंपे दें।
जेटली ने यहां बिजनेस पत्रिका 'द इकोनॉमिस्ट' द्वारा आयोजित 'इंडिया सम्मिट' में कहा कि मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के जोखिम में फंसे ऋण या गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए कई उपाय किए हैं। इसी के तहत दिवालिया कानून लगाया गया और ऋणदाताओं को वसूली का अधिकार मिला है।
उन्होंने कहा कि जोखिम में फंसे ऋण की वूसली प्रक्रिया में समय लगता है और इसके लिए कोई शॉर्टकट नहीं हो सकता। सरकार ने बैंकों को पूंजी उपलब्ध कराई है और सबसे आसान सुझाव यह है कि करदाता कर का भुगतान करें क्योंकि निजी क्षेत्र दिवालिया हो गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अधिक पूंजी उपलब्ध कराने के लिए तैयार है लेकिन जोखिम में फंसे ऋण से निपटने की प्राथमिकता है। वित्तमंत्री ने कहा कि इसके मद्देनजर निजी क्षेत्र को ऋणदाताओं को भुगतान करना चाहिए या उस संपत्ति को दूसरे को सौंप देना चाहिए ताकि ऋण की वसूली हो सके।
उन्होंने कहा कि सरकारी बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपए की पूंजी दी गई है तथा सरकार और अधिक पूंजी देने के लिए तैयार है। कुछ बैंक बाजार से भी संसाधन जुटा रहे हैं। इसके साथ ही सरकार बैंकों के एकीकरण पर भी जोर दे रही है क्योंकि अधिक सरकारी बैंक की जरूरत नहीं है। कुछ ही बैंक हों, लेकिन वे मजबूत हों।
रिजर्व बैंक ने नए दिवालिया कानून के तहत 2 लाख करोड़ रुपए के 12 बड़े कॉपोर्रेट डिफॉल्टरों के विरुद्ध ऋणशोधन की प्रक्रिया शुरू की और कई अन्य डिफॉल्टरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी चल रही है। (वार्ता)