Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

पुरानी व्यवस्थाओं के बीच नया खाका लाल किले से बड़ा संदेश

हमें फॉलो करें पुरानी व्यवस्थाओं के बीच नया खाका लाल किले से बड़ा संदेश
webdunia

ऋतुपर्ण दवे

यकीनन लाल किला की प्राचीर स्वतंत्रता के बाद से हर बरस देश के प्रधानमंत्रियों के उद्बोधन की साक्षी रही है लेकिन शायद यह पहला अवसर था जब दुनिया में फैली महामारी और इससे उपजे अवसाद के बीच नरेन्द्र मोदी के संतुलित, सारगर्भित और मोटीवेशनल भाषण ने वाकई में देश को एक नई दिशा देने का काम किया है।

यूं तो प्रधानमंत्री अपने खास अंदाज और शब्दों से फॉर्मूलों को गढ़ने के लिए सारी दुनिया में जाने जाते हैं। लेकिन इस बार उन्होंने बहुत ही भावुक अंदाज में बंगाल के क्रांतिकारी महर्षि अरविंदो घोष जैसे योध्दा का जिक्र कर बंगाल और बिहार का खास ध्यान खींचा। इस बार का उनका संबोधन सही मायने में नकारात्मक राजनीति के खिलाफ तथा भारत को ग्लोबल फैक्टरी ऑफ द वर्ल्ड बनाने पर ज्यादा केन्द्रित रहा। शायद आपदा को आमंत्रित करने वाले हमारे पड़ोसी को ही पस्त कर अपने लिए अवसर पैदा करने के इससे अच्छे मौके को हथियाने की प्रेरणा ने विपरीत परिस्थितियों में भी तेजी से आगे बढ़ने के लिए दरवाजे खोलने की राह मजबूत की।

सच है कि भारत सहित दुनिया जबरदस्त संकट काल के दौर से जूझ रही है। ऐसे में सही फैसलों से मुश्किल राहें आसान होती हैं। प्रधानमंत्री ने भी यही संदेश देने की कोशिश की कि जो चलता है, चलता आया है, अब नहीं चलेगा। सही है देखना होगा कब तक ऐसा हो पाएगा। नई राहों के लिए उनकी प्रेरणा उनकी दृष्टि अलग-लग क्षेत्रों में बहुत विस्तार से चर्चा का विषय है। लेकिन जो सार है वह यही कि भारत बेहद विपरीत परिस्थितियों में किस तरह से आपदा में अवसर की ओर अग्रसर है, न केवल कोरोना महामारी से उपजी नई और तात्कालिक जरूरतों की ओर ध्यान खींचा बल्कि उसके अमल की आज शुरुआत से इतना तय है कि जल्द ही भारत स्वास्थ्य के मामलें में लंबी छलांग मारने यानी लोगों को आधार की तरह एक नई मेडिकल आईडी देकर सारी मेडिकल हिस्ट्री को एक जगह रखना यानी हर टेस्ट, हर बीमारी, किस डॉक्टर ने कौन सी दवा दी, कब दी, रिपोर्ट्स क्या थीं की सारी जानकारी इसी एक हेल्थ आईडी में समाहित होगी जिसे कहीं से भी एक्सेस किया जा सकेगा ताकि कहीं भी कभी भी इलाज संभव हो पाएगा जो बड़ी बात है। यानी इससे पर्सनल मेडिकल रिकॉर्ड और जांच सेंटर जैसे संस्थान एक ही डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आ सकेंगे। फिलाहाल इसे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ राज्यों में ही लागू किया जाएगा।

पूरे भाषण में आत्म निर्भरता पर जोर देकर वोकल फॉर लोकल यानी स्वदेशी पर जोर, सैनिकों के मनोबल को बढ़ाने वाली बातें खासकर एलओसी से एलएसी तक सेना द्वारा आंख उठाने वालों को मुंह तोड़ जवाब देने की तारीफ, घरेलू कर्ज सस्ता कर हर घर का सपना आसान करना, आपदा के चलते उपजी सार्वजनिक ऑनलाइन शिक्षा के अवसर की संभावना को बलवती करना, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक आम भारतीय की शक्ति बनाकर उससे उपजने वाली ऊर्जा को आत्मनिर्भर भारत अभियान का बहुत बड़ा आधार बनाने की दिशा में काम करना, बड़ी सोच है। एमएसएमई यानी सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सेक्टर को मजबूत करना, 1000 दिन यानी साल 2023 तक 6 लाख गांवों को मजबूत संचार तंत्र प्रदान करने के लिए ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ना, कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना वो विषय रहे जिनसे उनकी सोच कुछ अलग सी दिखी।

कोरोना संकट से पूर्व ही भारत ने बीते वर्ष न केवल एफडीआई में 18 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि की है जिससे संकट के बावजूद दुनिया की बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। वाकई यह बड़ी उपलब्धि है क्योंकि दुनिया के बड़े-बड़े औद्योगिक खिलाड़ी ऐसे ही मोहित नहीं होते हैं। भारत ने इसके लिए जिन नीतियों पर काम किया है उससे ही ये विश्वास जगा है। बताते हैं कि लगभग 100 लाख करोड़ का विदेशी निवेश का आ चुका है और आने का सिलसिला निरंतर जारी है, जो बड़ी कामियाबी है। वाकई यह सब भारत को ग्लोबल फैक्टरी ऑफ द वर्ल्ड बनाने की ओर बढ़ता कदम ही है जिससे नरेन्द्र मोदी आपदा को अवसर में बदलकर चीन को पटखनी देने की तरफ इशारा कर रहे हैं. यह मेक इन इण्डिया के साथ मेक फॉर वर्ल्ड का नया आगाज है।

किसानों को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर देने के लिए कृषि क्षेत्र में व्यापक सुधार के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955, एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (एपीएमसी) एक्ट में बदलाव को उपलब्धि बताते हुए पहले ही दिन एक लाख करोड़ का एग्रीकल्चर फण्ड किसानों के बदलाव के लिए मील के पत्थर की शुरुआत जैसा है। ऑनलाइन हो चुकी इस प्रक्रिया से से रियल टाइम पर देश के अलग-अलग बाजारों में किसी भी कृषि उत्पाद का क्या भाव या मूल्य मिल रहा है, इसकी जानकारी तत्काल मिलती है तथा किसान अपनी मर्जी के मुताबिक अपनी फसल को कहीं भी और किसी को भी बेचने के लिए स्वतंत्र है। यानी किसानों को प्रोसेसर, एग्रीगेटर, बड़े खुदरा विक्रेताओं, निर्यातकों आदि के साथ जुड़ने का अधिकार मिला। यह कानून किसानों को भी किसी तरह के शोषण का शिकार होने से बचा रहा है जिससे किसान पहले जैसे दलालों के बंधनों से मुक्त हो गया है। इसी तरह जल-जीवन मिशन के तहत रोजाना एक लाख से ज्यादा घरों को पानी के कनेक्शन देने में सफलता बड़ी बात है। जल्द ही तीन कोरोना वैक्सीन पर चल रहे काम को अंजाम देने की आशा ने दुनिया को राहत जरूर पहुंचाई है।

इस बार लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की थीम मुख्यतः तीन बातों पर केन्द्रित दिखी पहली जहां आत्म निर्भरता यानी वोकल फॉर लोकर पर केन्द्रित बातों से उन्होंने भारत के लिए ग्लोबल फैक्टरी ऑफ द वर्ल्ड का बड़ा सपना देशवासियों को दिखाया, वहीं दूसरी थीम में राम मंदिर समाधान के जिक्र की चर्चा दिखी। जिसमें उन्होंने सदियों पुराने मसले के शांतिपूर्ण समाधान का जिक्र कर एक तरह से देशवासियों के बेहद संयमित और समझदारी पूर्ण आचरण और व्यवहार को अभूतपूर्व बताया। ऐसी भावना को आगे की प्रेरणा की ताकत तथा शांति, एकता, सद्भावना और भारत के उज्ज्वल भविष्य की गारंटी बताया। वहीं कश्मीर, धारा 370, 3 तलाक और नागरिक संशोधन कानून पहले ही उपलब्धियों में है।

जबकि तीसरी थीम में नई शिक्षा नीति, ऑनलाइन शिक्षा की बनती बलवती संभावना, किसानों के लिए नए अवसर और प्रकृति के साथ जुड़कर चलने का आव्हान जैसी बातों ने उनके भावी तेवरों को दिखाया. वन नेशन, वन राशन, वन टैक्स को देश की सच्चाई बताया। उनका यह कहना कि इस दशक में भारत नई रीति और नई नीति से आगे बढ़ेगा। अब होता है, चलता है का वक्त चला गया कहकर अफसरशाही व्यवस्था को जल्द सुधरने तथा जो उनकी ड्यूटी है उसे उसी तरह करने के लिए बड़ा संकेत भी दे दिया। हम दुनिया में किसी से कम नहीं हैं और हम सबसे ऊपर रहने का प्रयास करेंगे जैसी भाषा से लगा कि वो आपदा काल में भी बेहद आत्मविश्वास से लबरेज हैं और अब सिस्टम की नाकामी को सुधारना उनकी मुहिम होगी। प्रधानमंत्री का दार्शनिक अंदाज भी दिखा जब उन्होंने जब उन्होंने श्रम शक्ति के सम्मान पर कहा- सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं, श्रममूलं च वैभवम्. किसी समाज, किसी भी राष्ट्र की आजादी का स्रोत उसका सामर्थ्य होता है, और उसके वैभव का, उन्नति-प्रगति का स्रोत उसकी श्रम शक्ति होती है।

लाल किले की प्राचीर से नरेन्द्र मोदी का यह सातवां भाषण था जो कि 86 मिनट का रहा। इसके पहले 2019 का उनका भाषण 92 मिनट का जबकि 2018 का 82 मिनट, 2017 का 57 मिनट, 2016 का 94 मिनट, 2015 का 86 मिनट तथा 2014 में 65 मिनट का भाषण दिया था। इस तरह उन्होंने सबसे छोटा भाषण 2017 में दिया था जबकि सबसे बड़ा भाषण 2016 में दिया। जबकि 2015 और ठीक 5 साल बाद 2020 में दिया उनका भाषण 86-86 मिनट का रहा। इस तरह इन 7 सालों के सारे भाषण को जोड़ दिया जाए नरेन्द्र मोदी ने लाल किले से 9 घंटे 24 मिनट भाषण दिया।

निश्चित रूप से आपदा के दौर में स्वतंत्रता दिवस संदेश के रूप में नरेन्द्र मोदी का भाषण काफी संतुलित, जोशीला रहने के साथ भविष्य में सरकारी तंत्र को नाकाम करने वाले मुलाजिमों व जनता के नुमाइन्दों लिए भी बड़ी चेतावनी से भरा रहा। जिन भावी योजनाओं का जिक्र किया है उसको फलीभूत करने में बड़ी बाधा को पहले ही भांप लेना चुनौती को ही चुनौती देने जैसा है। एक प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने जो भावी खाका खींचा वह तारीफ के लायक तो है लेकिन क्या जो व्यवस्था वर्तमान में है और जिस कदर हर कहीं अभी भी सरकारी लचर तंत्र की मजबूत दीवारें ढ़हना तो दूर कमजोर तक नहीं हुई हैं उन सबके बीच यह सब हो पाएगा? अलबत्ता यह मानना ही पड़ेगा कि जब प्रधानमंत्री का यह विजन है तो निश्चित रूप से भारतीय राजनीति के इस धुरंधर की, अपने अधीन तंत्रों को भी पटरी पर लाने की कोई कड़ी तरकीब जरूर होगी जिसे सिर्फ वो ही जानते हैं।

(इस आलेख में व्‍यक्‍त‍ विचार लेखक की नि‍जी अनुभूति है, वेबदुनिया से इसका कोई संबंध नहीं है।)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सहस्त्रबुद्धे के 'दरबार' में बढ़ने लगी है भीड़