पांच पांडवों से से दो नकुल और सहदेव दोनों ही माद्री-अश्विन कुमार के पुत्र थे। लेकिन उनको पाण्डु पुत्र माना जाता है क्योंकि माद्री पाण्डु की पत्नी थीं। धृतराष्ट्र के बड़े भाई पाण्डु थे। पाण्डु को शाप था कि वह जब भी अपनी पत्नी कुंति या माद्री के साथ सहवास करेंगे तुरंत ही मृत्यु को प्राप्त हो जाएंगे। इसीलिए कुंति को प्राप्त मंत्र शक्ति के बल पर 4 पुत्र उत्पन्न हुए और वही मंत्र विद्या उन्होंने माद्री को बताई जिसने उनको दो पुत्र हुए। इस तरह दोनों को 6 पुत्र मिले जिसमें एक कर्ण भी थे।
जब नकुल और सहदेव का जन्म हुआ तब आकाशवाणी हुई की, 'शक्ति और रूप में ये जुड़वा बंधु स्वयं जुड़वा अश्विनों से भी बढ़कर होंगे।'
1. पाण्डु पत्नी माद्री के जुड़वा पुत्र में से एक नकुल हैं। नकुल सहदेव से बड़े थे। दोनों को ही अश्विनीकुमारों के औरस और पाण्डु के क्षेत्रज पुत्र कहते थे। मद्रदेश के राजा शल्य नकुल-सहदेव के सगे मामा थे। शल्य श्रीराम के कुल से थे। शल्यु कौरवों की ओर से लड़े थे।
2. नकुल के नाम का अर्थ है परम विद्वान। उनके पिता अश्विनकुमार की तरह की नकुल ने धर्म, नीति और चिकित्साशास्त्र में दक्षता हासिल की थी। मूल रूप से वे पशु चिकित्सक थे। नकुल ने यह शिक्षा गुरु द्रोणाचार्य से ली थी। उन्होंने इसके अलावा अश्व विद्या और चिकित्सा में भी निपुणता हासिल की थी।
3. अज्ञातवास के दौरान नकुल ने भेष बदलकर 'ग्रंथिक' नाम से महाराज विराट की राजधानी उपपलव्य की घुड़शाला में शाही घोड़ों की देखभाल करने का काम किया था। नकुल तलवारबाजी और घुड़सवारी की कला में पारंगत थे। माना जाता है कि वह वर्षा में बिना जल को छुए घुड़सवारी कर सकते थे।
4. माना जाता है कि वे चंद्रवंशी होकर यदुकुल के थे। उनका द्रौपदी से विवाह हुआ था। द्रौपदी से उनके शतानीक नाम के एक पुत्र भी हुए। इसके अलावा उनकी एक और पत्नी थी जिसका नाम करेणुमती था जिससे उनको निरमित्र नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई। करेणुमती चेदिराज की राजकुमारी थीं।
5. नकुल अत्यंत ही सुंदर थे इसीलिए उनको उनके रूप पर घमंड था। उनकी सुंदरता के कारण उनकी तुलना 'कामदेव' से की जाती थी। इस घमंड के कारण ही स्वर्ग जाते समय मार्ग में ही उनकी मृत्यु हो गई।