बीआर चौपड़ा की महाभारत के 25 अप्रैल 2020 के सुबह और शाम के 57 और 58वें एपिसोड में पांडवों के अज्ञातवास में उनके द्वारा विराट नगर में बिताए जा रहे दिनों के बारे में बताया गया। अज्ञातवास में उनका एक वर्ष पूर्ण होने को आया।
सुबह के एपिसोड में शकुनि का पुत्र उलूक गांधार से उनसे मिलने के लिए आता है। दोनों की वार्तालाप होती है। शकुनि अपने पुत्र को बताता है कि किस तरह भविष्य में महायुद्ध होने वाला है और किस तरह कुरु वंश का सर्वनाश होगा। ऐसा कहकर शकुनि उलूक को यह समझाता है कि किस तरह मुझे कौरवों से बदला लेना है।
बीआर चौपड़ा की महाभारत में जो कहानी नहीं मिलेगी वह आप स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें...
वेबदुनिया महाभारत
दूसरी ओर कर्ण और द्रोणाचार्य की वार्तालाप बताते हैं। कर्ण कहता है कि क्या आप ये सोचते हैं कि किसी सूत या शूद्र पुत्र का शिक्षा पर कोई अधिकार नहीं। द्रोण कहते हैं कि शिक्षा पर सभी का अधिकार है लेकिन तुम जिस शिक्षालय में आए थे वह केवल राजकुमारों का था। फिर कर्ण बताता है कि किस तरह उसने परशुराम से सभी अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा ली और अंत में परशुराम ने मुझे क्षत्रिय जानकर शाप दे दिया कि जब तुम्हें मुझसे प्राप्त इस शिक्षा की सर्वाधिक आवश्यकता होगी तो यह विद्या तुम्हारे किसी काम ना आएगी।
इधर, विराट नगर में वृहन्नला बने अर्जुन राजकुमारी उत्तरा को नृत्य की शिक्षा देते हुए बताए गए हैं, तब महाराजा और महारानी सुदेशणा कक्ष में आते हैं। उत्तरा सभी के समक्ष नृत्य करती हैं। बाद में सभी के बीच हस्तिनापुर और पांडवों को लेकर चर्चा होती है। इसी तरह महाराजा की कंक बने युधिष्ठिर के साथ चर्चा होती है। उसी दौरान महारानी सुदेशणा भी आ जाती है। तीनों के बीच हस्तिनापुर के कौरव और पांडवों को लेकर चर्चा होती है।
बाद में महारानी सुदेशणा का भाई सेनापति कीचक महल में प्रवेश करता है और वह सैरंध्री अर्थात द्रौपदी
को देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है। वह उसके पीछे पड़ जाता है और सैरंध्री से विवाह करने का प्रस्ताव रखता है। सैरंध्री इससे इनकार कर देती है, लेकिन कीचक जबरदस्ती करता है। सैरंध्री उसे चेतावनी देती है और कहती है कि आपने मेरा अपमान किया है इसकी भनक मेरे पति को लग गई तो आपका वध हो जाएगा। कीचक यह सहन नहीं कर पाता है और वह अपनी बहन से इस बारे में बात करता है। सुदेशणा भाई का साथ देती है और वह सैरंध्री को उसके कमरे से मदिरा लाने का आदेश देती है।
शाम के एपिसोड में कीचक अपने भवन में मदिरा लेने आई सैरंध्री के साथ जबरदस्ती करता है। सैरंध्री भागकर राजदरबार में पहुंच जाती है। कीचक भी काम के मद में पीछे-पीछे पहुंच जाता है। कीचक राजदरबार में भी सैरंध्री के साथ झूमाझटकी करता है। दरबार में कंक बने युधिष्ठिर भी यह देखते रहते हैं। भीम को यह पता चलता है तो वह राजदरबार में दौड़ लगा देता है लेकिन युधिष्ठिर उन्हें रोक देते हैं। द्रौपदी दरबार में राजा से बचाने की गुहार करती और न्याय मांगती है, लेकिन राजा विराट अपनी नजरें झुका लेता है। कीचक हंसता रहता है। कंक बने युधिष्ठिर द्रौपदी को समझाकर उसे महारानी के कक्ष में भेज देते हैं।
बाद में भीम द्रौपदी से कहता है कि तुम कीचक को नृत्यशाला में किसी भी तरह बुलाओ। मैं वहीं उसका वध कर दूंगा। नृत्यशाला में भीम द्रौपदी की साड़ी पहनकर बैठ जाता है। भीम जब उसका वध कर रहा होता है तब अर्जुन ढोल बजा रहा होता है।
इधर, शकुनि भीष्म से मिलने उनके महल पहुंच जाता है। दूसरी ओर कर्ण और दुर्योधन के बीच अज्ञातवास की समाप्ति के शेष समय को लेकर चर्चा होती है। दुर्योधन गुप्तचरों की असफलता पर विलाप करता है। तभी गुप्तचर खबर लाता है कि महारथी कीचक की हत्या हो गई है। तब कर्ण कहता है कि कीचक का वध असंभव है। यह तो भीम ही कर सकता है। यह सुनकर दुर्योधन खुश हो जाता है कि हमें पांडवों का पता चल गया। दोनों शकुनि के पास जाते हैं और पांडवों के अज्ञातवास को भंग करने के लिए मत्स्य देश पर आक्रमण करने की योजना बनाते हैं।
बीआर चौपड़ा की महाभारत में जो कहानी नहीं मिलेगी वह आप स्पेशल पेज पर जाकर पढ़ें...
वेबदुनिया महाभारत