सबसे बड़ा खुलासा, अब जिंदा नहीं हैं अश्‍वत्थामा

अनिरुद्ध जोशी
महाभारत युद्ध के बाद जीवित बचे 18 योद्धाओं में से एक अश्‍वत्थामा भी थे। अश्वत्थामा को संपूर्ण महाभारत के युद्ध में कोई हरा नहीं सका था। कहते हैं कि वे आज भी अपराजित और अमर हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या वे आज भी जीवित हैं? कुछ लोग भविष्यपुराण का हवाला देकर कहते हैं कि वे कलयुग के अंत में जब कल्कि अवतार होगा तो उनके साथ मिलकर धर्म के खिलाफ लड़ेंगे। लेकिन महाभारत में जो लिखा है वही प्रमाण है और जो भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है वही सत्य है। इस लेख को पढ़कर अब आप ही तय करें कि सच क्या है?
 
#
महाभारत के युद्ध में भीष्म के शरशैया पर लेटने के बाद युद्ध में कर्ण के कहने पर द्रोण सेनापति बनाए जाते हैं। अश्‍वत्थामा और द्रोण मिलकर युद्ध में कोहराम मचा देते हैं जिसके चलते श्रीकृष्ण और पांडवों की सेना में चिंता की लहर दौड़ जाती है। पांडवों की हार को देखकर श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से छल का सहारा लेने को कहा। इस योजना के तहत युद्ध में यह बात फैला दी गई कि 'अश्वत्थामा मारा गया', लेकिन युधिष्‍ठिर झूठ बोलने को तैयार नहीं थे। तब अवंतिराज के अश्‍वत्थामा नामक हाथी का भीम द्वारा वध कर दिया गया। इसके बाद युद्ध में यह बाद फैला दी गई कि 'अश्वत्थामा मारा गया'।
 
 
जब गुरु द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा के मारे जाने की सत्यता जानना चाही तो उन्होंने जवाब दिया- 'अश्वत्थामा मारा गया, परंतु हाथी।' श्रीकृष्ण ने उसी समय शंखनाद किया जिसके शोर के चलते गुरु द्रोणाचार्य आखिरी शब्द 'परंतु हाथी' नहीं सुन पाए और उन्होंने समझा कि मेरा पुत्र मारा गया। यह सुनकर उन्होंने शस्त्र त्याग दिए और युद्ध भूमि में आंखें बंद कर वे शोक में डूब गए। यही मौका था जबकि द्रोणाचार्य को निहत्था जानकर द्रौपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने तलवार से उनका सिर काट डाला। यह समाचार अश्‍वत्थामा के लिए भयंकर रूप से दुखद था। पिता की छलपूर्वक हत्या के बाद अश्‍वत्थामा युद्ध के सभी नियमों को तोड़कर ताक में रख देता है।
 
 
इसके बाद वह घोर अपराध करता है। पहला यह कि वह रात्रि में सोते हुए द्रौपदी के सभी पुत्रों की हत्या कर देता है। दूसरा यह कि वह ब्रह्मास्त्र चला देता है फिर उस ब्रह्मास्त्र को रोक पाने में असमर्थ होने के कारण वह उसे अर्जुन की पत्नी उत्तरा के गर्भ में उतार देता है जिसके चलते उसके गर्भ में पल रहा पुत्र मर जाता है जिसका नाम परीक्षित था। हालांकि जब श्रीकृष्‍ण अश्वत्थामा को शाप देते हैं तब वे उस जिंदा करने और उसके वंश की वृद्धि करने की बात भी कहते हैं।
 
 
अंत में श्रीकृष्ण बोलते हैं, 'हे अर्जुन! धर्मात्मा, सोए हुए, असावधान, मतवाले, पागल, अज्ञानी, रथहीन, स्त्री तथा बालक को मारना धर्म के अनुसार वर्जित है। इसने (अश्‍वत्थामा ने) धर्म के विरुद्ध आचरण किया है, सोए हुए निरपराध बालकों की हत्या की है। जीवित रहेगा तो पुन: पाप करेगा अत: तत्काल इसका वध करके और इसका कटा हुआ सिर द्रौपदी के सामने रखकर अपनी प्रतिज्ञा पूरी करो।'
 
 
श्रीकृष्ण के इन वचनों को सुनने के बाद भी अर्जुन को अपने गुरुपुत्र पर दया आ गई और उन्होंने अश्वत्थामा को जीवित ही शिविर में ले जाकर द्रौपदी के समक्ष खड़ा कर दिया। पशु की तरह बंधे हुए गुरुपुत्र को देखकर द्रौपदी ने कहा, 'हे आर्यपुत्र! ये गुरुपुत्र तथा ब्राह्मण हैं। ब्राह्मण सदा पूजनीय होता है और उसकी हत्या करना पाप है। आपने इनके पिता से इन अपूर्व शस्त्रास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया है। पुत्र के रूप में आचार्य द्रोण ही आपके सम्मुख बंदी रूप में खड़े हैं। इनका वध करने से इनकी माता कृपी मेरी तरह ही कातर होकर पुत्रशोक में विलाप करेंगी। पुत्र से विशेष मोह होने के कारण ही वे द्रोणाचार्य के साथ सती नहीं हुईं। कृपी की आत्मा निरंतर मुझे कोसेगी। इनका वध करने से मेरे मृत पुत्र लौटकर तो नहीं आ सकते अत: आप इन्हें मुक्त कर दीजिए।'
 
 
द्रौपदी के इन धर्मयुक्त वचनों को सुनकर सभी ने उसकी प्रशंसा की। इस पर श्रीकृष्ण ने कहा, 'हे अर्जुन! शास्त्रों के अनुसार पतित ब्राह्मण का वध भी पाप है और आततायी को दंड न देना भी पाप है अत: तुम वही करो जो उचित है।'
 
 
उनकी बात को समझकर अर्जुन ने अपनी तलवार से अश्वत्थामा के सिर के केश काट डाले और उसके मस्तक की मणि निकाल ली। मणि निकल जाने से वह श्रीहीन हो गया। बाद में श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा को नराधम कहते हुए 3,000 साल तक कोढ़ी के रूप में रहकर भटकने का शाप दे दिया। इस शाप का वेदव्यासजी भी अनुमोदन करते हैं। -(महाभारत : सौप्तिक पर्व) अत: यहां यह सिद्ध हुआ कि श्रीकृष्ण ने कलिकाल के अंत तक नहीं, बस 3,000 वर्ष तक ही अश्‍वत्थामा को जिंदा रहकर दुख भोगने का शाप दिया था।
 
 
अश्‍वत्‍थामा शाप से मुक्त हो चुका है
शिव महापुराण (शतरुद्रसंहिता-37) के अनुसार अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं और वे गंगा के किनारे निवास करते हैं किंतु उनका निवास कहां है, यह नहीं बताया गया है। लेकिन हमारी गणना के अनुसार अश्‍वत्थामा के शाप का काल पूरा हो चुका है, क्योंकि यदि हम महाभारत का युद्ध कम से कम 3,000 ईसा पूर्व होना मानें तो अब तक इस घटना के लगभग 5,000 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं और अश्‍वत्थामा को तो 3,000 वर्ष तक ही शरीर में भटकने का शाप दिया था।
 
 
आधुनिक शोध के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म 3112 ईसा पूर्व हुआ था, लेकिन आर्यभट्ट के बताए समय पर भी ध्यान देने की जरूरत है। वे कहते हैं कि 3137 ईपू में महाभारत का युद्ध हुआ था। दूसरी ओर ब्रिटेन में कार्यरत न्यूक्लियर मेडिसिन के फिजिशियन डॉ. मनीष पंडित ने महाभारत में वर्णित 150 खगोलीय घटनाओं के संदर्भ में कहा कि महाभारत का युद्ध 22 नवंबर 3067 ईसा पूर्व को हुआ था। उस वक्त भगवान कृष्ण 55-56 वर्ष के थे। उन्होंने अपनी खोज के लिए टेनेसी के मेम्फिन यूनिवर्सिटी में फिजिक्स के प्रोफेसर डॉ. नरहरि आचार्य द्वारा 2004-05 में किए गए शोध का हवाला भी दिया था।
 
 
'माथुर चतुर्वेदी ब्राह्मणों का इतिहास' के लेखक बालमुकुंद चतुर्वेदी इस बारे में सभी से भिन्न मत रखते हैं। वे परंपरा से प्राप्त इतिहास एवं पीढ़ियों की उम्र की गणना करने के बाद बताते हैं कि श्रीकृष्ण का जन्म 3114 विक्रम संवत पूर्व हुआ था। इस मान से अश्‍वत्थामा 2,000 वर्ष पूर्व ही शाप से मुक्त हो चुके हैं और अब उनके जिंदा होने की संभावना नहीं के बराबर है। ऐसे में उनके जिंदा होने के कयास लगाते रहना उचित नहीं है।
 
 
यह अलग बात है कि शाप से मुक्त होने के बाद भी अश्वत्थामा अपनी इच्छा से जिंदा हो, क्योंकि इतने हजार वर्षों तक जिंदा रहने वाला सामान्य मनुष्य भी खुद की शक्ति से ही जिंदा रहना सीख जाता होगा और वे तो अश्वत्थामा थे।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

Mahalaxmi Vrat 2024 : 16 दिवसीय महालक्ष्मी व्रत शुरू, जानें महत्व, पूजा विधि और मंत्र

Dussehra 2024: शारदीय नवरात्रि इस बार 10 दिवसीय, जानिए कब रहेगा दशहरा?

Ganesh Visarjan 2024: गणेश विसर्जन का 10वें दिन का शुभ मुहूर्त 2024, विदाई की विधि जानें

Surya gochar 2024 : शनि की सूर्य पर शुभ दृष्टि से इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन

Parivartini Ekadashi: पार्श्व एकादशी 2024 व्रत पूजा विधि, अचूक उपाय, मंत्र एवं पारण मुहूर्त

सभी देखें

धर्म संसार

Ganesh utsav 2024: गणेश उत्सव पर भगवान गणपति को सातवें दिन कौनसा भोग लगाएं और प्रसाद चढ़ाएं

Ganesh utsav 2024: गणेश जी का दांत कैसे टूटा, जानिए 4 रोचक कथाएं

Shukra Gochar : शुक्र गोचर से बना मालव्‍य योग, छप्‍पर फाड़कर मिलेगा 3 राशियों को धन

12 सितंबर: महंत अवैद्यनाथ की पुण्यतिथि, जानें 5 अनुसनी बातें

Chandra Navami Vrat 2024 : श्रीचंद्र नवमी आज, जानें 10 खास मंत्र और इस व्रत के बारे में

अगला लेख
More