भोपाल। मध्यप्रदेश में रबी की मौसम में खाद की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। खाद की कालाबाजारी की शिकायतों के बाद अब सरकार ने ऐसे लोगों पर रासुका के तहत कार्रवाई करने का फैसला किया है। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि प्रदेश में खाद की कालाबाजारी करने वालों पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी। गृहमंत्री ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि खाद को लेकर घबराएं नहीं और न ही खाद का संग्रहण करें। खाद की रैक जल्द ही प्रदेश में आ जाएगी और समस्या पर काबू पा लिया जाएगा।
वहीं दूसरी प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में खाद की लगातार कालाबाजारी की शिकायतें मिल रही है। भिण्ड के गोरमी में पुलिस ने व्यापारी संजय जैन के खाद के गोदाम पर छापा मारकर डीएपी की 130 बोरियां जब्त की है। पुलिस को सूचना मिली थी कि व्यापारी 1200 रुपए की जगह 1500 रुपए बोरी की दर से खाद बेच रहा था।
वहीं मुरैना में खाद खरीदने आए किसानों पर पुलिस ने दौड़ा-दौड़ा कर पीटा। खाद लेने आए किसानों को जब खाद खत्म होने का पता चला तो उन्होंने हंगामा शुरु कर दिया। जिसके बाद किसानों की जमकर नोंक-झोंक हुई।
खाद को लेकर किसानों के विरोध और आक्रोश का सामना सरकार के मंत्रियों को भी करना पड़ रहा है। भिंड जिले में खाद की कमी पर किसान जब राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया से अपनी गुहार लगाने पहुंचे तो मंत्री जी भड़क गए। किसान पर भड़कते हुए मंत्री जी कह रहे है कि 'तमीज नहीं है तुम राष्ट्रपति हो क्या। पूरी घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
इससे पहले खाद की कमी को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी कमिश्नर, कलेक्टर्स, एसपी के साथ बैठक की थी। मुख्यमंत्री ने प्रदेश में खाद की कमी नहीं होने देने और वितरण की व्यवस्था को सहीं करने के निर्देश दिए है।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को प्रदेश में उपलब्ध खाद जैसे यूरिया, डीएपी आदि का किसानों को वितरण सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे। इसके साथ ही किसानों को बाकी विकल्पों की भी जानकारी देंने, स्टॉक की निगरानी रखने और पिछले वर्ष के आंकड़ों के मुताबिक केन्द्रों पर स्टॉक भेजने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे।
मुख्यमंत्री ने कहा था कि खाद की उपलब्धता पर्याप्त है और कई जिलों में पिछले वर्ष से ज्यादा मात्रा में भी खाद उपलब्ध है और जिन जिलों में कम हैं, वहां के लिए हम तेजी से व्यवस्थाएं कर रहे हैं। अभी हमारे पास खाद का जो स्टॉक उपलब्ध है, उसके आधार पर जिले में अधिक से अधिक खरीदी केंद्र प्रारंभ करें। मार्कफेड, सहकारी समिति और निजी बिक्री करने वाले अधिक केंद्र खोलें, ताकि एक ही स्थान पर भीड़ न लगने पाये।