दीवाली जैसे रोशनी के पर्व के पहले पूरे देश में बिजली संकट की वजह से ब्लैक आउट की आशंका से हाहाकार मचा हुआ है, कई पॉवर प्लांट्स के बंद होने की कगार पर हैं। तमाम गांवों और शहरों में बिजली कटौती शुरू हो गई है।
वहीं दूसरी तरफ मध्यप्रदेश अपने लापरवाह रवैये से बाज नहीं आ रहा है। इलेक्ट्रिसिटी क्राइसिस के इस समय में मध्य प्रदेश में थर्मल पावर स्टेशन बिजली उत्पादन के लिए तय मात्रा से ज्यादा कोयला इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है एक मीडिया रिपोर्ट में हुआ है। विशेषज्ञों का दावा है कि एक यूनिट बिजली पैदा करने के लिए 620 ग्राम कोयला पर्याप्त होता है, जबकि इस दौरान यहां पर एक यूनिट बिजली पैदा करने के लिए 768 ग्राम कोयला इस्तेमाल हुआ।
बिजली के विशेषज्ञों का अनुमान है कि 1 अक्टूबर से 9 अक्टूबर के बीच थर्मल पावर स्टेशनों ने 88000 मीट्रिक टन अतिरिक्त कोयले का इस्तेमाल किया गया। इसकी कीमत करीब 30 करोड़ रुपए है। टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खबर प्रकाशित की है।
इन नौ दिनों में सतपुड़ा, श्री सिंगाजी, संजय गांधी और अमरकंटक थर्मल पावर स्टेशन में कुल 4 लाख मीट्रिक टन कोयले का इस्तेमाल हुआ। जबकि इस दौरान 5229 लाख यूनिट बिजली पैदा की गई।
सवाल यह पैदा हो रहे हैं कि इस दौरान एक यूनिट बिजली पैदा करने के लिए 768 ग्राम कोयला इस्तेमाल किया गया। जबकि आमतौर से एक यूनिट बिजली पैदा करने के लिए 620 ग्राम कोयला पर्याप्त होता है।
श्री सिंगाजी थर्मल पावर स्टेशन में नौ दिनों में एक यूनिट बिजली पैदा करने के लिए सबसे ज्यादा 817 ग्राम कोयला इस्तेमाल किया गया है। हालांकि श्री सिंगाजी प्लांट के सुप्रीटेंडेंट इंजीनियर इसके पीछे कोयले की खराब क्वॉलिटी समेत कई अन्य कारण बताते हैं।
वहीं एमपी जेनको के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इन दिनों जो हालात हैं उनमें क्वॉलिटी चेक बहुत मुश्किल है। ऐसे में हमें जो मिल रहा है उसी से काम चलाना पड़ रहा है।