इंदौर। शराब ठेकेदारों द्वारा बैंकों में भरे जाने वाले चालानों में हेरफेर के जरिए सरकारी खजाने को करीब 41.40 करोड़ रुपए की चपत लगाने वाले फर्जीवाड़े की जांच अभी चल ही रही है कि आबकारी विभाग में एक नया घोटाला सामने आ गया है।
पुलिस के आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) के पुलिस अधीक्षक स्तर के एक अधिकारी ने बताया कि इस इकाई ने इंदौर संभाग के चार जिलों में शराब ठेकों को फिर से नीलाम करने के लगभग 34 करोड़ रुपए के कथित घोटाले को लेकर की गई शिकायत पर जांच शुरू कर दी है।
उन्होंने बताया कि शिकायत में आरोप लगाया है कि संभाग के खरगोन, झाबुआ, खंडवा और बड़वानी जिलों में देशी और विदेशी शराब की दुकानों के ठेकेदारों ने अपने ठेके आबकारी विभाग को सरेंडर कर दिए। पुन: नीलामी में इन ठेकों को पुराने ठेकेदारों के रिश्तेदारों और परिचितों को ही बेहद कम मूल्य पर आवंटित कर दिया गया। इससे सरकारी खजाने को करीब 34 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ।
अधिकारी ने बताया कि शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया है कि पुराने ठेकों को सरेंडर करने और इन्हें दोबारा नीलाम करने की प्रक्रिया में नियम-कायदों को ताक पर रख दिया गया, ताकि ठेकेदारों को मोटा आर्थिक फायदा पहुंचाया जा सके। इस प्रक्रिया के लिए आबकारी आयुक्त या प्रदेश सरकार के किसी सक्षम अधिकारी से मंजूरी भी नहीं ली गई।
उन्होंने बताया कि आबकारी विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत के कथित घोटाले की शिकायत पर विस्तृत जांच की जा रही है। फिलहाल मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। इंदौर जिले में शराब ठेकेदारों द्वारा जालसाजी के जरिए प्रदेश सरकार को करीब 41.40 करोड़ रुपए के राजस्व का चूना लगाने के एक अन्य घोटाले का खुलासा हाल ही में हुआ है।
इसके बाद प्रशासन ने 10 शराब ठेकेदारों और उनके छ: साथियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराए हैं। घोटाले के मामले में कर्तव्य की अनदेखी के कारण जिले के आबकारी विभाग में पदस्थ सहायक आयुक्त समेत छह कारिंदों को निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही, उपायुक्त और 19 अन्य कर्मचारी-अधिकारियों का स्थानांतरण कर दिया गया है जो तीन साल से ज्यादा समय से जिले में पदस्थ थे।
जिला पुलिस के एक जांचकर्ता अधिकारी ने बताया कि आरोपी ठेकेदारों ने ठेका नीलामी की राशि की किस्तों के भुगतान और मदिरा का कोटा खरीदने के लिए पिछले दो सालों के दौरान बैंक में तय राशि से कम रकम के चालान जमा कराए, लेकिन इस चालान की प्रति में पेन से हेर-फेर कर आबकारी विभाग को गलत सूचना दी कि उन्होंने बैंकों में तय राशि के चालान जमा कराए हैं। सिलसिलेवार फर्जीवाड़े से सरकारी खजाने को 41.40 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा। (भाषा)