जिम्मी मगिलिगन सेंटर आदर्श है हर कृषक और कृषि पढ़ने वालों के लिए

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हर प्रकृति प्रेमी और कृषि छात्रों को यहां अवश्य आना चाहिए 
 
देश भर से इंदौर के सनावदिया स्थित जिम्मी मगिलिगन सेंटर देखने आने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इसका कारण है केन्द्र की डायरेक्टर जानी-मानी समाज सेविका पद्मश्री डॉ. जनक और उनके पति जिम्मी द्वारा बसाई एक ऐसी अनूठी दुनिया जहां उन्होंने प्रकृति के करीब रहकर इको फ्रेंडली जीवनशैली को अपनाया है और देश भर में यह संदेश दिया है कि कम से कम संसाधनों का प्रयोग कर कैसे कचरामुक्त जीवन आसानी से जिया जा सकता है।   
 
जिम्मी मगिलिगन सेंटर को देखने और यहां से प्रेरणा के बीज सहेजने के लिए हर दिन विद्यालयों, विश्वविद्यालयों, संस्थानों, कार्यालयों और प्रतिष्ठानों से पर्यावरण प्रेमी विद्यार्थी आते हैं और डॉ. जनक की जीवनशैली से प्रभावित होकर स्वयं भी प्रकृति की सुरक्षा का संकल्प लेकर जाते हैं। 
 
विगत दिनों इंदौर के कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के चौथे सेमेस्टर के छात्रों ने जिम्मी मगिलिगन सेंटर फार सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर आयोजित कार्यशाला 'सस्टेनेबल डेवलपमेंट' में अपनी प्रतिभागिता दर्ज की। कार्यशाला में शामिल सभी विद्यार्थी 'ग्रामीण उद्यमिता जागरूकता और विकास योजना' पाठ्यक्रम के थे। 
 
कार्यशाला समापन अवसर पर छात्रों ने सेंटर की पावर प्वाइंट प्रस्तुति द्वारा जाना कि कैसे यहां पर्यावरण की सुरक्षा और प्राकृतिक संसाधनों की सहायता से जीवन को स रलतम अंदाज में जिया जा सकता है। सेंटर की गतिविधियों से अभिभूत छात्रों ने कहा कि डॉ. जनक पलटा मगिलिगन हमारी रोल मॉडल है। यहां हर पर्यावरण प्रेमी के अलावा हर कृषक और कृषि पढ़ने वाले व्यक्ति को आना चाहिए। यह सेंटर हम कृषि छात्रों के सीखने और समझने के लिए आदर्श स्थान है। 
 
यहां आकर विद्यार्थी सेंटर के हर क्रियाकलाप से अचंभित नजर आए। उनका कहना था कि हमने सफलतापूर्वक गौ आधारित कृषि, बागवानी की जैव विविधता, दुर्लभ और उपयोगी औषधीय पौधे, मसालों के दुर्लभ पौधे, रासायनिक मुक्त खाद्य और ऊर्जा, प्रकृति में संतुलन, आत्म-निर्भरता, कचरा मुक्त जीवनशैली, प्रकृति के साथ सामंजस्य, प्राकृतिक संसाधनों का अधिकतम उपयोग, सौर और पवन प्रौद्योगिकियों के प्रयोग देखे और उन्हें जीवन में प्रयोग में लाने के तरीके जाने। हमने देखा कि कैसे एक महिला अपने सशक्त इरादों द्वारा अपनी जीवनशैली के माध्यम से हजारों लोगों को इस दिशा में निशुल्क प्रशिक्षित करने का प्रयास कर रही हैं, यह सच में अद्भुत है। 
 
डॉ.जनक ने जमीनी स्तर पर काम कर अपने अभियान को छोटे से गांव से शुरू कर दुनिया में प्रमाणित कर दिया है कि हर पर्यावरण प्रेमी, सरकार और कृषि विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए जिम्मी मगिलिगन सेंटर एक आदर्श मॉडल है। 
 
कृषि शिक्षा के चार सालों में जितना सीखा है उससे अधिक यहां आकर प्रत्यक्ष आंखों से देखकर समझ में आया है। हम छात्रों में उम्मीद की किरण जगमगाई है। हमारी दिशा तय हुई है और भरपूर आत्मविश्वास बढ़ा है। हमने यह समझा है कि हम कैसे भारत में ग्रामीण उद्यमशीलता, जागरूकता और विकास योजना को सफल कर सकेंगे। 
 
विद्यार्थी प्रशिक्षक नंदा और राजेंद्र चौहान को देख कर अत्यंत प्रभावित हुए। आईटी विशेषज्ञ समीर शर्मा ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट जीवन के उद्देश्य पर आकर्षक प्रस्तुति दी। धातु से खूबसूरत कृतियां बनाने वाले युवा कलाकार देवल वर्मा ने भी जिम्मी मगिलिगन सेंटर से इंटर्नशिप प्राप्त अपनी सफलता की कहानी सबसे साझा की।  सहायक प्रोफेसर डॉ. अभय वानखेड़े (कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर) ने कहा कॉलेज द्वारा यहां प्लेसमेंट अनुभव बहुत सार्थक व उपयोगी साबित होगा। डॉ. श्रीमती जनक पलटा मगिलिगन ने आभार प्रकट किया। 

 

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