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मध्यप्रदेश में खतरनाक इन्फ्लूएंजा H3N2 की दस्तक, भोपाल में मिला पहला मरीज

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विकास सिंह

, गुरुवार, 16 मार्च 2023 (23:34 IST)
भोपाल। देश के कई राज्यों में दहशत फैलाने वाले खतरनाक इन्फ्लूएंजा H3N2 ने मध्यप्रदेश में अपनी दस्तक दे दी है। प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक युवक में H3N2 संक्रमण मिला है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक राजधानी के बैरागढ़ इलाके के रहने वाले 25 साल के युवक के लिए गए  सैंपल H3N2 इंफ्लूएंजा संक्रमण की पुष्टि हुई है। बताया जा रहा है कि संक्रमित युवक को बुखार,खांसी,जुकाम की शिकायत के बाद 4 दिन पहले सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा गा था। जिसके बाद गुरुवार को भोपाल एम्स की जांच रिपोर्ट में इन्फ्लूएंजा H3N2 की पुष्टि हुई है। वहीं संक्रमित युवक को क्वारेंटाइन किया गया है और उसका घर पर हुई इलाज चल रहा है। वहीं स्वास्थ्य विभाग को संक्रमित युवक की अब तक कोई कॉन्ट्रैक्ट या ट्रैवल हिस्ट्री मिली है।

इन्फ्लूएंजा पर अलर्ट पर स्वास्थ्य विभाग- वहीं राजधानी में इन्फ्लूएंजा H3N2 की दस्तक देने के साथ स्वास्थ्य महकमा अलर्ट मोड पर आ गया है। प्रदेश में इन्फ्लूएंजा (एच-1, एन-1, एच-3, एन-2) वैरिएंट की रोकथाम को लेकर स्वास्थ्य आयुक्त डॉ. सुदाम खाड़े ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं सिविल सर्जन को निर्देश जारी किये हैं। जारी निर्देश में उन्होंने कहा है कि सीजनल इन्फ्लूएंजा वेरिएंट के संबंध में केंद्र सरकार की गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया जाए।

डॉ. खाड़े ने कहा कि सभी फ्लू प्रकरणों एवं सीजनल इन्फ्लूएंजा वेरिएंट की शंका होने पर तुरंत जांच कराएं तथा ओसल्टामिविर (टेमीफ्लू) शुरू की जाए। जिन स्थानों से एक्यूट रिस्पायरेट्री इन्फेक्शन के अधिक प्रकरण आ रहे हैं, उन स्थानों पर रैपिड रिस्पांस टीम भेज कर सर्वे करवाएं। छोटे बच्चे, बूढ़े व्यक्ति एवं कोमॉर्विडिटी रोगों से पीड़ित लोग अधिक सतर्क रहें। जिला टास्क फोर्स की बैठक कर जरूरी दवाइयाँ-उपकरण और मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करें। सीजनल इन्फ्लूएंजा के सभी सी-केटेगरी के रोगियों के थ्रोट स्वाब सैंपल जांच के लिए लैब में भेजा जाए।
 
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इन्फलूएंजा की रोकथाम के लिए खाँसते या छींकते समय अपने मुँह और नाक को एक टीशू पेपर/कोहनी से ढकना, सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचना, भीडभाड़ वाले क्षेत्र मास्क का उपयोग करना एवं बार-बार हाथ धोना आदि की जागरूकतना फैलाने के साथ लक्षणों की शुरूआती सूचना देने और उन लोगों के संपर्क को सीमित करना जो श्वास की बीमारी से पीड़ित हैं।

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