मुंबई। पूर्व भारतीय खिलाड़ी इरफान पठान ने शनिवार को क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास लेने की घोषणा करने के बाद कहा, ‘लोग 27-28 साल की उम्र में अपना करियर शुरू करते हैं और मेरा करियर तब समाप्त हो गया जब मैं 27 साल का था और मुझे इसका अफसोस है।’
इरफान जब 19 साल के थे तब उन्होंने 2003 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की तरफ से पहला मैच खेला था। उन्होंने अपना आखिरी मैच 2012 में श्रीलंका के खिलाफ विश्व टी20 में खेला था।
इरफान अब 35 साल के हैं। उन्होंने कहा, ‘लोग 27-28 साल की उम्र में अपना करियर शुरू करते हैं और मेरा करियर तब समाप्त हो गया जब मैं 27 साल का था तब मैंने 301 अंतरराष्ट्रीय विकेट हासिल कर लिए थे लेकिन मेरा करियर वहीं पर समाप्त हो गया। मुझे इसका अफसोस है।’
उन्होंने कहा, ‘मैं चाहता था कि मैं और मैच खेलूं और अपने विकेटों की संख्या 500-600 तक पहुंचांऊ और रन बनाऊं लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
’इरफान ने कहा, ‘27 वर्षीय इरफान पठान का अपने करियर के चरम पर अधिक अवसर नहीं मिले। जो भी कारण रहे हों ऐसा नहीं हुआ। कोई शिकायत नहीं है लेकिन जब पीछे मुड़कर देखता हूं तो खेद होता है।’
पठान ने कहा कि 2016 में पहली बार उन्हें लगा कि अब वह फिर से कभी भारत की तरफ से नहीं खेल पाएंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं 2016 के बाद समझ गया कि मैं वापसी नहीं करने वाला हूं जबकि मैं तब मुश्ताक अली ट्रॉफी में सर्वाधिक रन बनाए थे। मैं सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर था और जब मैंने चयनकर्ताओं से बात की तो वे मेरी गेंदबाजी से बहुत खुश नहीं थे।’
बड़ौदा में जन्में इस क्रिकेटर को पर्थ में 2008 में शानदार प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया लेकिन इसके बाद वह केवल 2 टेस्ट ही और खेल पाए।
उन्होंने कहा, ‘लोग पर्थ टेस्ट की बात करते हैं और अगर लोग पूरे आंकड़ों पर गौर करें तो इसके बाद मैं केवल एक टेस्ट (असल में दो टेस्ट) ही और खेला। मैं उस मैच में मैन ऑफ द मैच था लेकिन फिर मुझे मौके नहीं मिले। यहां तक दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपने आखिरी मैच में मैं ऑलराउंडर के रूप में खेला था। मैंने नंबर 7 पर बल्लेबाजी की थी।’