शुक्रवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 2 पैसे की गिरावट के साथ 77.59 पर बंद हुआ। ये इसलिए हुआ क्योकि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और विदेशी पूंजी पर वाले बाहरी कारकों ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया।
ऐसा देखा जा रहा है कि भारतीय रुपया की चाल इस समय अन्य एशियाई कर्रेंसीओं के अनुरूप है। कमजोर विकास और आरबीआई की नीतियों के चलते अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसका मूल्य गिरा है। इसके अलावा महीने के अंत में इस पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों का भी असर पड़ा।
निवेशकों का कहना है कि कच्चे तेल, खाद्य और फर्टिलाइजर की कीमतों में वृद्धि का असर आने वाले महीनों में घरेलू खर्चों पर पड़ेगा। इन्फ्लेशन की वजह से भारतीय बाजारों में आए दिन कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे है। इसके लिए घरेलू तत्वों के साथ साथ कई अंतराष्ट्रीय तत्व जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध, चीन की शून्य कोविड नीति आदि जिम्मेदार है।
ऐसा समय जब घरेलु उपयोग में आने वाली चीजों के दाम आए दिन आसमान छू रहे है, तब भारतीय रुपया में 2 पैसे की गिरावट आना भी आम आदमी के लिए चिंता का विषय है।