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ब्रिटिश जेलों में नए कैदियों के लिए जगह नहीं, विदेशियों को समय से पहले छोड़ने का सुझाव

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राम यादव

British Jails Full With Criminals: ब्रिटेन के न्यायमंत्री अलेक्स चॉक आजकल बड़े धर्मसंकट में हैं। एक तरफ़ न्याय का तकाज़ा है कि अपराधियों को सज़ा मिले, दूसरी तरफ़ अदालतों से उन्हें कहना पड़ रहा है कि सज़ाएं ज़रा कम सुनाएं, जेलों में जगह नहीं है!
 
ब्रिटेन की अदालतों में इस समय 65 हज़ार से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। किसी आरोप का सामना कर रहे 15 हज़ार से अधिक लोग न्यायिक हिरासत में बैठे अपनी सुनवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं। चार वर्ष पूर्व यह संख्या 9500 थी। कोरोनावायरस वाली कोविड महामारी और वकीलों की एक हड़ताल ने सुनवाई की प्रतीक्षा करने वालों की संख्या इस बीच बुरी तरह बढ़ा दी है। यहां तक कि बलात्कारियों की सज़ा सुनाने में भी देर की जा रही बताई जाती है, क्योंकि उनके कारण जेलों की बहुत-सी कोठरियां कई साल तक फंसी रहेंगी।
 
इंग्लैंड और वेल्स में कुल मिलाकर 120 जेल हैं। उनमें कुल 88,782 क़ैदियों के लिए जगह है। ब्रिटेन की जेलों में इतने अधिक क़ैदियों के लिए इतनी जगह पहले कभी नहीं थी। तब भी, सज़ा पाने वालों की संख्या, जेलों में उपलब्ध जगहों से अधिक हो गई है। 
 
कैदियों का बढ़ता अनुपात : ब्रिटेन में हर एक लाख की जनसंख्या पर 146 कैदी हैं। कैदियों का अनुपात हर साल बढ़ता जा रहा है। तुलना के तौर पर, जर्मनी में 2022 में हर एक लाख की जनसंख्या पर केवल 67 क़ैदी जेलों में थे। ब्रिटेन की सरकार का अनुमान है कि मार्च 2027 तक वहां की जेलों में 1,06,300 कैदी होंगे।  
 
ब्रिटेन के उदारवादियों का कहना है कि वहां सज़ाओं और क़ैदियों की भारी संख्या, वर्तमान अनुदारवादी (कंज़र्वेटिव) सरकार की कठोर 'क़ानून और व्यवस्था (लॉ ऐंड ऑर्डर)' नीति का सीधा परिणाम है। सज़ाएं पाने वालों की न केवल संख्या बढ़ती गई है, उनकी सज़ाओं की अवधियां भी बढ़ती गई हैं।
 
उदारवादी क्या कहते हैं : सरकार के विरोधी उदारवादी यही चाहते हैं कि अपराधों को बहुत गंभीरता से न लिया जाए। अपराधियों को लंबी सज़ाएं भी न दी जाएं। लेकिन, ऐसा होने पर क्या अपराध और नहीं बढ़ेंगे और जनता हो-हल्ला नहीं मचाएगी? अपराधियों के प्रति उदारता दिखाने से तो उन्हें प्रोत्साहन ही मिलेगा। अपराध और अपराधी, दोनों बढ़ेंगे।
 
ब्रिटेन के न्याय मंत्री अलेक्स चॉक ने जेलों में जगह कम होने की समस्य़ा के हल के लिए संसद के सामने कई नए उपाय रखे हैं। उनमें से एक यह है कि सज़ाएं भुगतने वाले विदेशियों को समय से पहले ही रिहा कर देने पर नए क़ैदियों के लिए अपने आप जगह ख़ाली हो जाएगी। 
 
हर कैदी पर 47 हज़ार पाउंड का ख़र्च : न्यायमंत्री का कहना था कि विदेशियों को भी उनके किए की सज़ा मिलनी चाहिए। किंतु, ऐसा नहीं हो सकता कि सज़ा के नाम पर वे जेल में बैठे रहें और उन्हें देश से निकाल देने के बदले हर क़ैदी पर देश के करदाताओं का हर साल 47 हज़ार पाउंड ख़र्च होता रहे। अकेले इंग्लैंड की जेलों में इस समय क़रीब 10,500 विदेशी क़ैदी अपनी सज़ाएं काट रहे हैं।
 
न्यायमंत्री अलेक्स चॉक का एक दिलचस्प सुझाव यह भी है कि ब्रिटेन के क़ैदियों के लिए विदेशी जेलों में भी जगहें किराए पर ली जा सकती हैं। छोटे-मोटे अपराधियों को जेल की सज़ा सुनाने के बदले उनसे सामाजिक उपयोग के काम करवाए जा सकते हैं।
 
न्यायमंत्री का लेख : ब्रिटिश दैनिक 'टेलीग्राफ़' के लिए अपने एक लेख में अलेक्स चॉक ने लिखा कि जिन अपराधियों को एक साल से कम की जेल की सज़ा मिलती है, उनमें से 50 प्रतिशत फिर से वही या कोई दूसरा अपराध करते हैं। बहुत से तो जेल से छूटते ही पुनः कोई न कोई अपराध कर बैठते हैं। ऐसे अपराधियों को कुछ समय के लिए जेल में रखना अपराधवृत्ति से उन्हें मुक्ति दिलवाने और उनका पुनर्वासन करने के लिए कतई पर्याप्त नहीं होता। किंतु, इस दौरान वे अपने घर-परिवार और काम-धंधे से बेगाने हो कर समाज के लिए एक बोझ ज़रूर बन जाते हैं।

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