लखनऊ। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने शनिवार को कहा कि वह आगामी राष्ट्रपति चुनाव में NDA की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट देंगे।
शिवपाल यादव ने कहा, 'उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने मुझसे (द्रौपदी मुर्मू के लिए) वोट देने को कहा था और मैंने फैसला किया है कि मैं उन्हें वोट दूंगा।'
सपा के सहयोगी ओम प्रकाश राजभर और यादव ने शुक्रवार को आदित्यनाथ द्वारा मुर्मू के सम्मान में आयोजित रात्रिभोज में भाग लिया था। इन दोनों नेताओं के राजग प्रत्याशी के समर्थन से विपक्षी खेमे के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं क्योंकि वह इस पद के लिए यशवंत सिन्हा का समर्थन कर रहा है।
मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने बताया था कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के रात्रिभोज के दौरान राजा भैया के नाम से मशहूर जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के प्रमुख रघुराज प्रताप सिंह और उत्तर प्रदेश में बसपा के एकमात्र विधायक उमा शंकर सिंह भी मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर मौजूद थे।
राजा भैया ने भी बाद में पत्रकारों से इस बात की पुष्टि की थी कि वह, राजभर, शिवपाल यादव और उमा शंकर सिंह रात्रिभोज में शामिल हुए थे।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यशवंत सिन्हा के साथ विपक्षी नेताओं की बैठक में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के प्रमुख राजभर को आमंत्रित नहीं किया था। इसके बाद राजभर ने शुक्रवार को कहा था कि वह राष्ट्रपति चुनाव को लेकर समर्थन के मसले पर अपने फैसले की घोषणा 12 जुलाई को करेंगे।
उन्होंने कहा था कि वह शुक्रवार को मऊ और शनिवार को बलिया एवं गाजीपुर में पार्टी के कार्यकर्ताओं से बात करेंगे तथा इसके बाद अपना फैसला सार्वजनिक करेंगे। उन्होंने यशवंत सिन्हा के समर्थन को लेकर पूछे जाने पर कहा कि अभी कुछ भी तय नहीं है। वह पहले ही कह चुके हैं कि वह अपने दम पर राष्ट्रपति चुनाव पर फैसला करेंगे।
शिवपाल यादव के उत्तर प्रदेश चुनाव परिणाम के बाद से अपने भतीजे अखिलेश यादव के साथ संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। शिवपाल कई बार आदित्यनाथ से मुलाकात कर चुके हैं और कई मुद्दों पर सपा प्रमुख पर हमला करते रहे हैं। रात्रिभोज में बसपा विधायक उमा शंकर सिंह की उपस्थिति मुर्मू को समर्थन देने की पार्टी प्रमुख मायावती की घोषणा की पुष्टि करती है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा में राजभर की पार्टी के 6 विधायक हैं। उन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव सपा के नेतृत्व वाले विपक्षी समूह के सहयोगी के रूप में लड़ा था।