एक बहुत प्रसिद्ध सूफी फकीर गुरु था। जिसका नाम इब्न-अल-हुसैन था। उसके कई शिष्य थे। उसके एक शिष्य ने उसे पूछा- दुनिया में शांति और पवित्रता कैसे आएगी?
हुसैन ने उस शिष्य को एक कहानी सुनाई– दमिश्क में अबू मूसा अल-कुमासी नामक एक शेख रहता था। उसकी शिक्षा और अच्छाई की सब मिसाल देते थे लेकिन हकीकत में किसी को यह पता नहीं था कि वह वाकई अच्छा या भला आदमी है भी या नहीं।
एक दिन किसी कारणवश शेख का घर ढह गया और शेख और उसकी बीवी मलबे में दब गए। घबराए हुए पड़ोसियों ने मलबे में उनकी तलाश शुरू कर दी। उन्होंने सबसे पहले शेख की बीवी को खोज लिया। बीवी ने पड़ोसियों को देखते ही कहा– 'मेरी फिक्र छोड़ो और पहले मेरे शौहर को बचाओ! वे उस कोने में दबे हुए थे।
पड़ोसियों ने बीवी की बताई जगह पर से मलबा हटाया और उन्हें लकड़ी की एक पल्ले के नीचे दबा शेख दिख गया। उन्हें देखते ही शेख ने चिल्लाकर कहा– 'मैं ठीक हूं। पहले मेरी बीवी को बचाओ। बेचारी उस कोने में कहीं दबी होगी।
इस कहानी को सुनाने के बाद सूफी फकीर कहता है कि जब भी कोई व्यक्ति ऐसा आचरण करेगा जैसा इन दंपत्तियों ने किया तो वह दुनिया में शांति और पवित्रता में बढ़ोतरी ही करेगा।