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अजय गर्ग की प्रेरणादायी कलाकृतियां

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चाहत है जहाँ, रास्ता है वहां

भारतीय लघुचित्रों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध कलाकार अजय गर्ग की चित्र कलाकृतियां 18 दिसंबर से  24 दिसंबर के दरम्यान मुंबई के जहांगीर आर्ट गैलरी में प्रदर्शित हो रही हैं। इस प्रदर्शनी का उद्घाटन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ श्री. आशीष चौहान के कर कमलों द्वारा 18 दिसंबर को दोपहर 1.30 बजे किया गया। सप्ताहभर चलने वाली इस प्रदर्शनी को चित्रप्रेमी सुबह 11 बजह सें शाम 7 बजे तक देख सकते हैं। और इसके लिए प्रवेश पूर्णत: निःशुल्क है।
 
अजय गर्ग की के बारे में कहा जाए, तो अजय एक असाधारण कलाकार हैं जो 3 साल की उम्र से मूक बधिर है। उनकी कहानी ने दुनिया भर के लाखों लोगों को अपने जीवन में कुछ असाधारण करने के लिए प्रेरित किया है। अजय राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम से राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं। समुदाय के कल्याण में अजय सक्रिय रूप से शामिल हैं और जयपुर, राजस्थान में दिव्यांग बच्चों को लघु चित्रकला का नि: शुल्क प्रशिक्षण देते हैं।
 
बचपन में उन्हें एक इंजेक्शन से रिएक्शन हो गया था, जिसके कारण वे सुनने और बोलने की क्षमता खो बैठे। उस समय वे मात्र तीन साल के थे। उन्हें लगा कि कुछ भी बेहतर नहीं होगा, कोई भी समझ नहीं पाएगा और वे कभी सामान्य नहीं होंगे। इस दरम्यान उन्हें एक दोस्त मिला, जो उनको समझ सकता था, वह थी कला।
अजय अपनी हर भावनाओं को कैनवास में चित्रित करते गए। हर सपनों को उन्होने ब्रश में रंगा और रंग से प्यार बढ़ता गया। उन्होंने जो भी दिमाग में आया वह चित्रित किया, और उनका जीवन बेहतर होता गया।
 
रॉयल कोर्ट ऑफ धौलपुर के कलाकार श्री. सुआलाल ने अजय की कला को प्रेरित किया। परिवार से भी उनकी कला को बढ़ावा मिला और उम्र के दसवे साल में ही वो रंगों से कैनवास पर बखूबी चित्र निकालने लगे। 
जल्द ही उन्हें एक और गुरु मिली श्रीमती आशा देवी। उन्होंने अजय के चित्रकौशल को पोषित किया और लघु चित्रकला का प्रशिक्षण दिया। 20 सेंटीमीटर से भी कम चित्र बनाने में वह सक्षम बने। वह सिंगल हेयर ब्रश से भी कलाकृति बनाते हैं एवं खनिज, जल रंगो और शुद्ध सोने की हिलकारी आदि का प्रयोग करते हैं। 
 
बैंगलोर में जब उनकी चित्र की पहली प्रदर्शनी लगी, तो हजारों लोगों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया था।  
उस समय उनको एहसास हुआ कि उनकी कला सिर्फ उनकी खुद कि भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका नहीं था बल्कि एक दूसरे के लिए दुनिया को व्यक्त करने का भी एक तरीका था।
 
इसके बाद उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शनी केवल भारत में ही नहीं, यूएसए, यूके और मेक्सिको सहित दुनिया भर के संग्रहालयों में प्रदर्शित हुई। उनकी पेंटिंग्स किताबों, कैटलॉग में प्रकाशित हुईं। उन्होंने मृतप्राय कला को अपने हुनर से जीवित किया है, जिससे न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत का नाम रोशन किया है।

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अजय ने जयपुर के अनाथालय में दिव्यांग बच्चों और साथ ही गरीब लड़कियों को मुफ्त प्रशिक्षण दिया और अभी भी दे रहे हैं। अजय कहते हैं कि ''मैं सचमुच मानता हूं कि कला एक ऐसी भाषा है जिसे हम सभी बोलते हैं एवं अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं''। ऐसे प्रेरणादायी कलाकार की मुंबई में प्रदर्शित होने वाली लघु चित्रों की मालिका न केवल देखने के लिये है, बल्की हारी बाजी को जीतने की ताकत देती है।
 

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