Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

12 साल से अधिक बच्चों के लिए कोरोना वैक्‍सीन, जानिए Zycov-d अन्‍य वैक्सीन से है कैसे अलग

हमें फॉलो करें 12 साल से अधिक बच्चों के लिए कोरोना वैक्‍सीन, जानिए  Zycov-d अन्‍य वैक्सीन से है कैसे अलग
कोरोना वायरस का प्रकोप अब कम हो रहा है। लेकिन देश के कुछ राज्‍य है जैसे महाराष्‍ट्र और केरल में कोविड का खतरा कम नहीं हुआ है। लेकिन इस बीच खुशी की खबर यह है कि जायकोव -डी को इमरजेंसी यूज का DGCI से अप्रूवल मिल गया है। भारतीय फार्मास्‍युटिकल कपंनी जायडस कैडिला की है वैक्‍सीन। यह दुनिया की पहली DNA आधारित वैक्‍सीन है। देश में उपलब्‍ध होने वाली चौथी और अप्रूवल पाने वाली यह छटवी वैक्‍सीन है। इससे पहले जॉनसन एंड जॉनसन और मॉर्डना को मंजूरी मिल सकी है। हालांकि बाजार में यह दोनों अभी उपलब्‍ध नहीं है। वहीं दावा किया जा रहा है कि जायकोव-डी जल्‍द ही बाजार में उपलब्‍ध हो जाएगी। जायकोव-डी वैक्‍सीन 12 साल और उससे ज्‍यादा उम्र के बच्‍चों और बड़ों को लगाया जा सकेगा। आइए जानते हैं जायडस कैडिला की वैक्‍सीन जायकोव- डी के बारे में - 
 
दुनिया की पहली  DNA आधारित वैक्‍सीन -
 
जायकोव-डी वैक्‍सीन अन्‍य वैक्‍सीन के मुकाबले अलग है। अभी उपलब्‍ध जानकारी के मुताबिक जायकोव-डी सिंगल या डबल डोज नहीं बल्कि ट्रिपल डोज वाल वैक्‍सीन है। यह दुनिया की पहली डीएनए आधारित वैक्‍सीन होगी। हालांकि कैडिला द्वारा सिर्फ दो टीके लगाने पर भी प्रयास किए जा रहे हैं। फेज -1 और फेज -2 के ट्रायल के दौरान तीसरे डोज में इम्‍यूनिटी बढ़कर आई है। डीएनए आधारित अलग प्रकार से बनाई जाती है। इसमें हमारे शरीर के डीएनए का इस्‍तेमाल कर इम्‍युन प्रोटीन विकसित किया जाता है जो बॉडी में संक्रमण को रोकने में मदद करता है। और शरीर को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाता है। 
 
निडिल फ्री है यह वैक्‍सीन
 
जायकोव-डी वैक्‍सीन के वैक्‍सीनेशन का तरीका अलग है। यह निडिल फ्री वैक्‍सीन है। इसे जेट इंजेक्‍टर तरीके से लगाया जाएगा। जेट इंजेक्‍टर का इस्‍तेमाल सबसे अधिक अमेरिका में ही होता है। यह वैक्‍सीन लगवाने समय 90 डिग्री के एंगल पर रखकर और सीधा रखकर लगाया जाता है। यह वैक्‍सीन कंप्रेस्‍ड गैस और स्प्रिंग का इस्‍तेमाल किया जाता है। वहीं  अन्‍य वैक्‍सीन निडिल की मदद से लगाया जाता है। निडिल से वैक्‍सीन लगवाने पर वह सीधे मसल्‍स में जाता है। जिससे दर्द अधिक होता है। 
 
जेट इंजेक्‍टर से वैक्‍सीन लगाने के फायदे 
 
- जेट इंजेक्‍टर से लागने पर दर्द कम होता है क्‍योंकि यह सीधे मसल्‍स में नहीं जाता है। 
- इससे इंफेक्‍शन का खतरा कम होता है। 
 
डोज में अंतर 
 
जायकोव-डी के वैक्‍सीन डोज थोड़ा कंफ्यूज कर सकते हैं तो जानते हैं तीनों डोज को कितने अंतराल से लगना चाहिए -
 
जायकोव -डी वैक्‍सीन का दूसरा डोज 28 दिन बाद लगाया जाता है। वहीं, तीसरा डोज पहले डोज के 56 दिन बाद लगेगा। देशभर में 20 सेंटर्स पर तीसरे फेज का ट्रायल जारी है।  12 साल से बड़े बच्‍चों ट्रायल का हिस्‍सा थे। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक वैक्‍सीनेशन ट्रायल के दौरान बच्‍चों पर किसी भी प्रकार का साइड इफेक्‍ट नहीं देखा गया है।
 
वैक्‍सीन को रखने का तापमान 
 
बता दें कि, वैक्‍सीन को एक निश्चित तापमान पर रखा जाता है। जायको‍व -डी को 2 से8 डिग्री के तपमान पर रखा जाता है। इसे  25 डिगी के रूम टेम्‍पे्रेचर पर भी रख सकते हैं। इसलिए इसे रखने के लिए कोल्‍ड चेन की जरूरत नहीं पड़ती है। साथ ही इस वैक्‍सीन की सबसे बड़ी खासियत है अन्‍य वैक्‍सीन की तुलना में इसे मॉडिफाई भी किया जा सकता है। 
 
भारत में उपलब्‍ध है ये वैक्‍सीन 
 
भारत में वर्तमान में सीरम इंस्‍टीट्यूट की कोवीशील्‍ड, भारत बायोटेक की को‍वैक्सिन और रूस की स्‍पुतनिक-वी उपलब्‍ध है। वहीं जॉनसन एंड जॉनसन, मॉर्डना और जायकोव-डी को इमरजेंसी अप्रूवल मिल चुका है। फिलहाल जायकोव-डी वैक्‍सीन का ट्रायल जारी है और जल्‍द ही भारत में उपलब्‍ध होने की संभावना बताई जा रही है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

मोटिवेशनल : अपने काम पर फोकस करें, अटकाव और भटकाव से बचें