कोविड-19 को खतरा जून माह 2021 के बाद से धीरे -धीरे कम होने लगा है। वैक्सीन की रफ्तार बढ़ी, कोरोना के हालत पस्त होते चले गए। देश और दुनिया में कोविड के केस में गिरावट देखी जा रही है। हालांकि अभी कोविड से और भी अधिक लड़ना बाकी है। लेकिन जिस तरह से देश और दुनिया में कोविड वैक्सीन की रफ्तार बढ़ने लगी है और लोग लगवा रहे हैं इसका असर अब दिखने लगा है। दुनियाभर में इस बात को लेकर जरूर किस्सागोई हुई थी कि वैक्सीन लेने के बाद कोविड का खतरा कितना है। यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि दुनिया में वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी लोग कोविड की चपेट में आ रहे हैं। हालांकि कोविड गाइडलाइन के मुताबिक वैक्सीनेशन के बाद भी कोविड नियमों का पालन करना जरूरी है। वहीं अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज एंड कंट्रोल प्रिवेंशन के आंकड़ों के मुताबिक वैक्सीन के बाद भी कोविड से बचाव की 100 फीसदी गारंटी नहीं हैं लेकिन फायदे कई सारे हैं आइए जानते हैं।
5000 में से एक संक्रमित
सीडीसी, द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक वैक्सीन की दोनों डोज के बाद भी मामले सामने आ रहे हैं लेकिन ऐसे कुछ केस है जिसमें संक्रमित व्यक्ति की मौत हो रही हो या अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा हो। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी आधारित आंकड़ों पर जब अध्ययन कर निष्कर्ष निकाला तो सामने आया 5 हजार में से सिर्फ 1 को संक्रमण का खतरा है। वहीं 10 हजार में से सिर्फ 1 में ही दूसरे को संक्रमण फैलाने का खतरा है।
वैक्सीन नहीं लेने वालों को मौत का खतरा!
सीडीसी द्वारा किए गए अध्ययन में सामने आया कि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लिया है उनमें संक्रमण के फैलने का खतरा अधिक है। साथ ही संक्रमण की चपेट में आने के बाद अस्पताल पहुंचने का खतरा 10 गुना अधिक है। वहीं वैक्सीन लेने के बाद अस्पताल में भर्ती होने की आशंका बहुत हद तक कम हो जाती है।
कोविड वैक्सीन के एंटीबॉडी का लेवल गिर रहा है!
गौरतलब है कि कोविड से बचाव के लिए पूरे विश्व में अलग-अलग पैमाने पर स्टडी, रिसर्च जारी है। वैज्ञानिकों द्वारा जारी अब वैक्सीन के दोनों डोज के बाद एंटीबॉडी बन भी रही है या नहीं या एंटीबॉडी बन गई है तो कितने दिन तक है। लेकिन लांसेट के शोध पर जारी एक रिपोर्ट में सामने आया है कि फाइजर से शरीर में बनी एंटीबॉडी का स्तर 21 से 41 दिनों में 7506 यूनिट प्रतिलीटर से कम हो कर 70 या उससे ज्यादा दिन में 3320 यूनिट प्रतिलीटर हो गया। वहीं फाइजर पर भी किए गए अध्ययन में दूसरे डोज के बाद एंटीबॉडी का स्तर 60 फीसदी तक कम हो गया।