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12 अगस्त: आज विश्व हाथी दिवस, पढ़ें 25 रोचक बातें

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अनिरुद्ध जोशी

World Elephant Day : प्रतिवर्ष 12 अगस्त को विश्व हाथी दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य हाथियों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करना है। एलिफेंट रिइंट्रोडक्शन फाउंडेशन और फिल्म निर्माताओं पेट्रीसिया सिम्स और माइकल क्लार्क द्वारा वर्ष 2011 में इस दिवस को मनाने का फैसला किया गया और पहली बार अंतरराष्ट्रीय हाथी दिवस 12 अगस्त 2012 को मनाया गया।
 
जिस तरह शेर या बाघों की संख्या लगातार कम होकर अब उनके अस्तित्व के उपर ही संकट खड़ा हो गया है उसी तरह हाथी दांत की तस्करी के चलते हाथियों पर भी संकट गहरा गया है।

आओ जानते हैं हाथियों के बारे में 25 रोचक तथ्‍य।
 
1. हमारी धरती पर हाथी सबसे संवेदनशील प्राणी है। यह मनुष्य से ज्यादा समझदार और बुद्धिमान माना गया है। इससे भी ज्यादा संवेदनशील और बुद्धिमान जलचर प्राणी डॉल्फिन को माना जाता है।
 
2. अफ्रीकी हाथी भू‍मि पर रहने वाला दुनिया का सबसे बड़ा स्तनपायी प्राणी माना गया है। इसमें नर हाथी का औसतन 3 मीटर तक ऊंचा और वजन 4,000-7,500 किलोग्राम के बीच हो सकता है जबकि एशियाई हाथियों की लंबाई 2.7 मीटर और वजन 3,000- 6,000 किलोग्राम के बीच होता है। जन्म के समय हाथियों का वजन 120 किलोग्राम तक हो सकता है।
 
3. सिर्फ नर हाथी 35-40 वर्षों में अपने पूरे साइज तक पहुंचते हैं। उनकी उम्र 60-70 वर्षों तक की होती है। हाथी की उम्र अधिकतम 100 वर्ष से अधिक होती है।
 
4. हाथी की 3 अलग-अलग प्रजातियां होती हैं- अफ्रीकी सवाना हाथी, अफ्रीकी वन हाथी और एशियाई हाथी। 5 करोड़ साल पहले हाथियों की 170 प्रजातियां पाई जाती थी लेकिन अब मात्र दो ही बची है- एलिफ्स (Elephas) तथा लॉक्सोडॉण्टा (Loxodonta)।
 
5. हाथियों को रोजाना 150 किलोग्राम की भोजन की जरूरत होती है। इसीलिए हाथी हर दिन घास, पौधे और फल खाने में 12 से 18 घंटे बिताते हैं। 
 
6. पूरी दुनिया के हाथियों में से 25 फीसदी हाथी अकेले अफ्रीकी देश बोत्सवाना में पाए जाते हैं और भारत में हाथियों की सर्वाधिक संख्या कर्नाटक में दर्ज की गई है, जहां इनकी संख्या छह हजार के करीब है। 
 
7. हाथी की खाल का ज्यादातर हिस्सा 2.5 सेंटीमीटर मोटा होता है।
 
8. हाथी अपनी सूंड में लगभग 8 लीटर तक का पानी भरकर पी जाते हैं। इनकी सूंड 150,000 यूनिट तक की मसल्स होती है। तैरते समय वे सूंड का उपयोग श्वास लेने में अच्छे से कर लेते हैं।
 
9. हाथी के दो तरह के दांत होते हैं। बड़े दांत को गजदंत अर्थात टस्क कहते हैं। वे इसका उपयोग पेड़ों की छाल को उतारने, जड़ों को खोदने या अपनी रक्षा के लिए करते हैं। 
 
10. हाथी में गजब की याददाश्त होती है क्योंकि इसका टेम्पोरल लोब आदमी की तुलना में बड़ा सघन होता है। हाथी अपने साथी की पहचान कर उसके साथ बिताए हर दिन को याद रखते हैं।
 
11. हाथी जन्म लेने के कुछ मिनट बाद ही खड़े हो जाते हैं और 1 घंटे के भीतर तो वे चलने लगते हैं। कई बार वे इतनी कम आवाज निकालते हैं कि इंसान उन्हें सुन भी नहीं सकता। यही नहीं वे भूमि पर पैर पटककर वाइब्रेशन करके भी एक दूसरे को संकेत देते हैं। 
 
12. हाथियों को झुंड में रहने की आदत होती है। अकेले में उसकी मानसिक स्‍थिति सही नहीं रहती है। झुंड का कोई हाथी मर जाए तो सभी को बहुत दुख होता है।
 
13. हाथी कई तरह से संवाद करते हैं जैसे सूंड हिलाकर, छूकर या गंध से वे अपने साथी हाथी से कम्यूनिकेट करते हैं। 
 
14. हाथी और घोड़ा ही एक मात्र ऐसे पशु हैं जो खड़े खड़े ही सोते हैं। बीमारी या कमजोरी में कभी कभार ऐसा होता है कि वे लेट जाएं। वह भी दिन में करीब 4 घंटे सोते हैं। 
 
15. हाथी एक दिन में 40 गेलन तक पानी पी सकता है।
 
16. हाथियों की सूंघने की शक्ति बहुत ही तीव्र होती है। कहते हैं कि एक हाथी पानी की गंध को लगभग 4 से 5 किलोमीटर दूर से ही सूंघ लेता है। 
 
17. हाथी कभी भी आपस में लड़ते झगड़ते नहीं है यह बहुत ही अपवाद स्वरूप होता होगा। झुंड का कोई हाथी मर जाए तो सभी को बहुत दुख होता है।
 
18. हाथी के शरीर का सबसे मुलायम हिसा उसके कान के पीछे होता है इसीलिए उसे कान से ही काबू में किया जाता है।
 
19. हथिनियों में गर्भावस्था 18 से 22 महीने तक की होती है।
 
20. प्रत्येक मिनट हाथी 2 से 3 बार ही सांस लेता और छोड़ता है।
 
21. हाथी इकलौता ऐसा जानवर है जो कूद नहीं सकता, लेकिन यह लंबे समय तक तैरने की क्षमता रखता है।
 
22. चींटी हाथी की सूंड में घुंस जाए तो वह मरने की कगार पर पहुंच जाता है इसीलिए हाथी फूंक-फूंक कर कदम रखता है।
 
23. हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हाथियों का जन्म ऐरावत नाम के हाथी से माना जाता है। मतलब यह कि जैसे मनुष्‍यों का पूर्वज बाबा आदम या स्वयंभुव मनु है उसी तरह हाथियों का पूर्वज ऐरावत है। ऐरावत की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुए थी और इसे इंद्र ने अपने पास रख लिया था।
 
24. हिंदुस्तान में प्राचीनकाल से ही राजा लोग अपनी सेना में हाथियों को शामिल करते आएं हैं। प्राचीन समय में राजाओं के पास हाथियों की भी बड़ी बड़ी सेनाएं रहती थीं जो शत्रु के दल में घुसकर भयंकर संहार करती थीं।
 
25. भारत में राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यूएल) की स्थाई समिति की 13 अक्टूबर, 2010 को हुई बैठक में हाथियों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद पर्यावरण मंत्रालय ने 15 अक्टूबर, 2010 को इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी।


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