हर साल 9 अगस्त को नागासाकी दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का वैश्विक इतिहास में एक दुखद महत्व है। यह उस दिन को याद दिलाता है जब जापानी शहर नागासाकी में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम गिराया गया था और उस शहर को तबाह कर दिया गया था। यह दिन परमाणु हथियारों की विशाल विनाशकारी शक्ति और स्थायी शांति की आवश्यकता की याद दिलाता है।
जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपने सहयोगियों के साथ जापान के साथ संघर्ष को समाप्त करने की मांग की। सबसे पहले हिरोशिमा शहर में 6 अगस्त 1945 को परमाणु बम गिराया गया। बम के द्वारा की गई नाशनीति ने भय को और बढ़ाया जिससे जापान की पराजय की मांग हो गई।
9 अगस्त 1945 को नागासाकी पर एक दूसरा परमाणु बम गिराया गया जिसका कोडनेम 'फैट मैन' था। बम, शहर के ऊपर विस्फोट हुआ जिससे व्यापक तबाही हुई और जीवन का नुकसान हुआ।
जापान में हुए परमाणु हमले से जुड़े कुछ ज़रूरी तथ्य
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हिरोशिमा पर 6 अगस्त 1945 को सुबह सवा आठ बजे बम गिराया था। दूसरा बम 9 अगस्त 1945 को 11 बजे गिराया गया था। इसके बाद फिर कभी भी परमाणु बम का इस्तेमाल नहीं किया गया।
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हिरोशिमा पर गिराए जाने वाले बम का फैसला केवल एक घंटे पहले लिया गया था।
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हिरोशिमा पर गिराए गए बम का नाम लिटिल बॉय था। यह करीब 4000 किलो वजन का था। 65 किलो यूरेनियम से लबालब था और 10 फीट लंबा था।
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नागासाकी पर गिराए गए बम का नाम फैट मेन था। दूसरी बार जब परमाणु बम गिराया गया था उसका वजन 4500 किलो था और 11.5 फीट लंबाई थी। इस बम में 6.4 किलो प्लूटोनियम था जो यूरेनियम से भी अधिक खतरनाक था।
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बता दें कि हिरोशिमा जापान का 7वां सबसे बड़ा शहर था। वहीं नागासाकी गोकु सेना का हेडक्वार्टर था।
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हिरोशिमा हमले के बाद धरती का तापमान 4000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। यह तापमान स्टील को पिघालने के लिए काफी होता है। हालंकि जिस जगह बम गिरा था वहां का तापमान 3 लाख डिग्री सेलस्यिस था।
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कहते हैं अमेरिका ने आज तक बम गिराने वाले फैसले को लेकर माफी नहीं मांगी है। वहीं पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबाम पहले ऐसे राष्ट्रपति है जिन्होंने हमले के 71 साल बाद हिरोशिमा की यात्रा की थी।
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हिरोशिमा पर हुए हमले के एक महीने बाद एक चक्रवात आया था। जिस वजह से करीब 2000 लोगों की जान चली गई थी।
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हिरोशिमा और नागासाकी आज रेडियोएक्टिव फ्री है, जो बहुत बड़ी बात है। क्योंकि दोनों बम जमीन से कुछ दूर उपर ही ब्लास्ट हो गए थे।
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जापान के राजा हिरोहित्तो ने अमेरिकी सेना के सामने 9 अगस्त की घटना के बाद आत्मसमर्पण कर दिया था। इसकी घोषणा रेडियो पर की गई थी। साथ ही बता दें कि जापानियों ने पहली बार राजा की आवाज सुनी थी।